________________ 162 ] [अन्तकृद्दशा पढमे अट्ठए एक्केक्कं भोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ, एक्केक्कं पाणयस्स जाव [दत्ति पडिगाहेइ], अट्ठमे अट्ठए अट्ट भोयणस्स पडिगाहेइ, अट्ठ पाणयस्स / / एवं खलु एयं अहमियं भिक्खुपडिमं चउसट्ठीए रातिदिएहि दोहि य अट्ठासोएहि भिक्खासहि महासुतं जाव' आराहित्ता नवनवमिथं भिक्खुपडिम उवसंपज्जित्ता गं विहरइ पढमे नवए एक्केक्कं भोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ, एक्केक्कं पाणयस्स जाव [दत्ति पडिगाहेइ] नवमे नवए नव-नव दत्तीपो भोयणस्स पडिगाहेइ, नव-नव पाणयस्स / एवं खलु एयं नवनवमियं भिक्खुपडिम एक्कासीतिए राइंदिरहि चउहि य पंचुत्तरेहि भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव' पाराहेत्ता दसदसमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ पढमे दसए एक्केक्कं भोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ, एककेक्कं पाणयस्स जाव [दत्ति पडिगाहेइ] / दसमे दसए दस-दस दत्तीग्रो भोयणस्स पडिगाहेइ, दस-दस पाणयस्स / एवं खलु एयं दसदसमियं भिक्खुपडिमं एक्केणं राइंदियसएणं प्रद्धछठ्ठहि य भिक्खासएहिं अहासुत्त जाब प्राराहेइ, पाराहेत्ता बहूहि चउत्थ-छठ्ठठ्ठम-दसम-दुवालसेहि मासद्धमासखमणेहि विविहेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणी विहरइ / तए णं सा सुकण्हा अज्जा तेणं अोरालेणं तवोकम्मेणं जाव' सिद्धा / निक्खेवनो। आर्यचन्दना आर्या से आज्ञा प्राप्त होने पर प्रार्या सुकृष्णा देवी अष्ट-अष्टमिका नामक भिक्षुप्रतिमा को धारण कर के विचरने लगी। अष्ट-अष्टमिका भिक्षु-प्रतिमा का स्वरूप इस प्रकार है / पहले आठ दिनों में आर्या सुकृष्णा ने एक दत्ति भोजन की और एक दत्ति पानी की ग्रहण की। दसरे अष्टक में अन्न-पानी की दो-दो दत्तियां लीं। इसी प्रकार क्रम सेतीय तीन-तीन, चौथे में चार-चार, पांचवें में पांच-पांच, छठे में छह-छह, सातवें में सात-सात और आठवें में पाठआठ अन्न-जल की दत्तियां ग्रहण की। इस अष्ट-अष्टमिका भिक्षु-प्रतिमा की आराधना में 64 दिन लगे और 288 भिक्षाएं ग्रहण की गई। इस भिक्षु-प्रतिमा की सूत्रोक्त पद्धति से आराधना करने के अनन्तर आर्या सुकृष्णा ने नव-नवमिकानामक भिक्षु-प्रतिमा की आराधना आरम्भ कर दी। नव-नवमिका भिक्षु-प्रतिमा की आराधना करते समय आर्या सुकृष्णा ने प्रथम नवक में प्रतिदिन एक एक दत्ति भोजन की और एक-एक दत्ति पानी की ग्रहण की। इसी प्रकार आगे क्रमश: एक-एक दत्ति बढाते हुए नौवें नवक में अन्न जल की नौ-नौ दत्तियां ग्रहण की। इस प्रकार यह नव-नवमिका भिक्षु-प्रतिमा इक्यासी (81) दिनों में पूर्ण हई / इसमें भिक्षाओं की संख्या 405 तथा दिनों की संख्या 81 होती है। सूत्रोक्त विधि के अनुसार नव-नवमिका भिक्षुप्रतिमा की आराधना करने के अनन्तर आर्या सुकृष्णा ने दश-दशमिकानामक भिक्षु प्रतिमा की आराधना प्रारंभ की। 1-2-3 वर्ग 8, सूत्र 2 4. वर्ग 8, सूत्र 4 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org