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________________ अष्टम वर्ग] [ 161 आराधना की। इसमें आहार-पानी की सम्मिलित रूप से प्रथम सप्ताह में सात दत्तियां हुई, दूसरे सप्ताह में चौदह, तीसरे सप्ताह में इक्कीस, चौथे में अट्ठाईस, पांचवें में पैंतीस, छठे में बयालीस और सातवें सप्ताह में उनपचास दत्तियां होती हैं / इस प्रकार सभी मिलाकर कुल एक सौ छियानवे (166) दत्तियां हुईं। इस तरह सूत्रानुसार इस प्रतिमा का पाराधन करके सुकृष्णा आर्या आर्य चन्दना आर्या के पास आई और उन्हें वंदना नमस्कार करके इस प्रकार बोली- "हे आर्ये ! आपकी आज्ञा हो तो मैं 'अष्ट-अष्टमिका' भिक्षु-प्रतिमा तप अंगीकार करके विचरू।" __ आर्या चन्दना ने कहा-हे देवानुप्रिये ! जैसे तुम्हें सुख हो वैसा करो। धर्मकार्य में प्रमाद मत करो। विवेचन–तीसरे वर्ग के 16 वें सूत्र में वर्णित भिक्षुप्रतिमा से यह सप्तसप्तमिका भिक्षुप्रतिमा अलग है / उससे इसका कोई संबंध नहीं है। सातवीं भिक्षुप्रतिमा का समय एक मास है और उसमें सात दत्तियाँ भोजन की और सात दत्तियां पानी की ग्रहण की जाती हैं परन्तु प्रस्तुत अध्ययन में वर्णित सप्तसप्तमिका भिक्षु-प्रतिमा का समय 46 दिन-रात्रि का है। यह सात सप्ताहों में पूर्ण होती है (747 46) / प्रथम सप्ताह में एक दत्ति अन्न की और एक दत्ति पानी की ग्रहण की जाती है, दूसरे में दो-दो, तीसरे में तीन-तोन, चौथे, पांचवें, छठे, सातवें में एक-एक की वृद्धि क्रमशः करते हुए सातव तक सात-सात दत्तियां अन्न पानी की ग्रहण की जाती हैं। इस सप्तसप्तमिका भिक्षुप्रतिमा में समस्त दत्तियों की संख्या 166 होती है। अत: इस भिक्षु-प्रतिमा का उक्त बारह भिक्षुप्रतिमाओं के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है। इसका स्थापनायंत्र इस प्रकार है--- ~ सतसतमिया सिक्रपडिमा 0000000) 00000000) 00000000 0000000 46 दिवसा ** 196 दतिम्रो ६-तए णं सा सुकण्हा अज्जा अज्जचंदणाए अज्जाए अब्भणुष्णाया समाणी अट्ठमियं भिक्खुपडिम उवसंपज्जित्ता णं विहरइ-- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003476
Book TitleAgam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages249
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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