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________________ पञ्चम अध्ययन सुकृष्णा सुकृष्णा का भिक्षुप्रतिमा आराधन ८–एवं सुकण्हा वि, नवरं-सत्तसत्तमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जिता णं विहरइ / पढमे सत्तए एक्केक्कं भोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ, एषकेक्कं पाणयस्स। दोच्चे सत्तए दो-दो भोयणस्स दो-दो पाणयस्स पडिगाहेइ / तच्चे सत्तए तिणि तिणि दत्तीओ भोयणस्स, तिपिण-तिण्णि दत्तीओ पाणयस्स / चउत्थे सत्तए चत्तारि-चत्तारि दत्तोपो भोयणस्स, चत्तारि-चत्तारि दत्तीग्रो पाणयस्स / पंचमे सत्तए पंच-पंच दत्तीग्रो भोयणस्स, पंच-पंच दत्तीओ पाणयस्स / छ8 सत्तए छ-छ दत्तीयो भोयणस, छ-छ दत्तीग्रो पाणयस्स / सत्तमे सत्तए सत्त-सत्त दत्तीयो भोयणस्स, सत्त-सत्त दत्तीग्रो पाणयस्स पडिगाहेइ / एवं खलु एयं सत्तसतमियं भिक्खुपडिमं एगूणपण्णाए रातिदिएहिं एगेण य छण्णउएण भिक्खासएणं अहासुत्तं जाव' पाराहेत्ता जेणेव अज्जचंदणा अज्जा तेणेव उवागया, उवागच्छित्ता अज्जचंदणं अज्जं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी इच्छामि णं अज्जायो ! तुन्भेहि अब्भणुण्णाया समाणी अमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरेत्तए। अहासुहं देवाणुप्पिए ! मा पडिबंध करेहि / काली आर्या की तरह प्रार्या सुकृष्णा ने भी दीक्षा ग्रहण की। विशेष यह कि वह सप्त-सप्तमिका भिक्षुप्रतिमा ग्रहण करके विचरने लगी, जो इस प्रकार है प्रथम सप्तक में एक दत्ति भोजन की और एक दत्ति पानी को ग्रहण की। द्वितीय सप्तक में दो दत्ति भोजन की और दो दत्ति पानी की ग्रहण की / तृतीय सप्तक में तीन दत्ति भोजन की और तीन दत्ति पानी को ग्रहण की। चतुर्थ सप्तक में चार दत्ति भोजन की और चार दत्ति पानी की ग्रहण की। पांचवें सप्तक में पांच दत्ति भोजन की और पांच दत्ति पानी की ग्रहण की। छठे सप्तक में छह दत्ति भोजन को और छह दत्ति पानी की ग्रहण की। सातवें सप्तक में सात दत्ति भोजन की और सात दत्ति पानी की ग्रहण की। इस प्रकार उनपचास (46) रात-दिन में एक सौ छियानवे (196) भिक्षा की दत्तियां होती हैं / सुकृष्णा आर्या ने सूत्रोक्त विधि के अनुसार इसी 'सप्तसप्तमिका' भिक्षुप्रतिमा तप की सम्यग् 1. वर्ग 8, सूत्र 2. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003476
Book TitleAgam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages249
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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