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________________ पणरसमं अज्झयणं अतिमुक्त गौतम स्वामी की भिक्षाचर्या और अतिमुक्त 16 तेणं कालेणं तेणं समएणं पोलासपुरे नयरे। सिरिवणे उज्जाणे। तत्थ णं पोलासपुरे नयरे विजए नाम राया होत्था। तस्स णं विजयस्स रण्णो सिरी नामं देवी होत्था, वणो / तस्स णं विजयस्स रण्णो पुत्ते सिरीए देवीए अत्तए अइमुत्ते नाम कुमारे होत्था, सूमालपाणिपाए / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव [पुव्वाणवि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणामेव पोलासपुरे नयरे सिरिवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छई, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिहित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे] विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवनो महावीरस्स जेठे अंतेवासी इंदभूई अणगारे जहा पण्णत्तीए जाव भगवं गोयमे छटुक्खमणपारणयंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, बीयाए पोरिसीए झाणं झियायइ, तइयाए पोरिसीए अतुरियमचवलमसंभन्ते मुहपोत्तियं पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता भायणाई वस्थाई पडिलेहेइ, पडिलेहिता भायणा पमज्जइ, पमज्जित्ता भायणाई उग्गहेछ, उग्गहिता, जेणेव समर्ण भगवं महावीर तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता समणं भगवं महावीर बदइ नमसइ, वदित्ता ममंसित्ता एवं वयासी ___ "इच्छामि णं भंते ! तुम्भेहि अब्भणुण्णाए छट्टक्खमणपारणगंसि] पोलासपुरे नयरे उच्च [नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए / ! मा पडिबंध। तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियानो गुणसिलामो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसंभंते जुगतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरोरियं सोहेमाणे सोहेमाणे जेणेव पोलासपुरे नयर तेणेव उवागच्छइ, उवाच्छित्ता पोलासपुर नयर उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियं] अडइ / ___इमं च णं अइमुत्ते कुमार व्हाए जाव' सव्वालंकारविभूसिए बहि दारगेहि य दारियाहि य डिमएहि य डिभियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धि संपरिबुडे सानो गिहाम्रो पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव इंदट्ठाणे तेणेव उवागए तेहिं बहूहिं दारएहि य संपरिवुडे अभिरममाणेअभिरममाणे विहरइ / तए णं भगवं गोयमे उच्च जाव प्रडमाणे इंदट्ठाणस्स प्रदूरसामंतेणं बोईवयइ / अध्ययन-१५ उस कल और उस समय में पोलासपुरनामक नगर था। वहाँ श्रीवननामक उद्यान था। उस नगर में विजयनामक राजा था। उस की श्रीदेवी नाम की महारानी थी, यहाँ राजा और रानी 1. बर्ग 3, सूत्र 13. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003476
Book TitleAgam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages249
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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