________________ 132] [अन्तकृद्दशा विवेचनप्रस्तुत सूत्र में ग्यारह श्रावकों का उल्लेख किया गया है। ये सव मोह-ममत्व के बन्धन तोड़कर तथा वैराग्य से नाता जोड़कर मंगलमय करुणासागर भगवान् महावीर के चरणों में पहुंचकर दीक्षित हो गये। इनके जीवन में जो-जो अन्तर है वह निम्नोक्त तालिका में दिया जा रहा है-- उद्यान नाम नगर 1. श्री काश्यपजी | राजगृह नगर गुणशीलक 1. श्री क्षेमकजी | काकंदी नगरी 3. श्री धृतिधरजी काकंदी नगरी 4. श्री कैलाशजी साकेत नगर 5. श्री हरिचन्दनजी साकेत नगर 6. श्री वारत्तकजी / राजगृह नगर 7. श्री सुदर्शनजी वाणिज्यग्राम नगर द्य तिपलाश 8. श्री पूर्णभद्रजी ! वाणिज्यग्राम नगर / 1. श्री सुमनभद्रजी श्रावस्ती नगरी 10. श्री सुप्रतिष्ठितजी| श्रावस्ती नगरी 11. श्री मेघकुमारजी | राजगृह नगर दीक्षा-पर्याय निर्वाण-स्थान 16 वर्ष विपुल पर्वत 16 वर्ष विपुल पर्वत 16 वर्ष विपुल पर्वत 12 वर्ष विपुल पर्वत 12 वर्ष विपुल पर्वत 12 वर्ष विपुल पर्वत 5 वर्ष विपुल पर्वत 5 वर्ष विपुल पर्वत अनेक वर्ष पर्वत 27 वर्ष पर्वत अनेक वर्ष विपुल पर्वत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org