________________ हुए, ने भी मुझे विशेष रूप से प्रेरित किया। श्रुत की सेवा का सुन्दर अवसर जान, मैंने उधर उत्साह दिखाया / सातवें अंग उपासकदशा का कार्य मेरे जिम्मे पाया। मैंने उपासकदशा का कार्य हाथ में लिया। सम्पादन, अनुवाद, विवेचन पहला कार्य पाठ-सम्पादन का था। मैंने उपासकदशा के निम्नाङ्कित संस्करण हस्तगत किये 1. उपासकदशासूत्रम्-सम्पादक, डॉ० एम० ए० रुडोल्फ हानले / प्रकाशक-बंगाल एशियाटिक सोसायटी कलकत्ता / प्रथम संस्करण : 1890 ई० / 2. श्रीमद् अभयदेवाचार्यविहितविवरणयुतं श्रीमद् उपासकदशांगम् / प्रकाशक-आगमोदय समिति, महेसाणा, प्रथम संस्करण 1920 ई० / 3. उपासकदशांगसूत्रम्-वृत्तिरचयिता-जैनशास्त्राचार्य पूज्य श्री घासीलालजी महाराज / प्रकाशक-श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन संघ, कराची / प्रथम संस्करण: 1936 ई० / 4. श्री उपासकदशांगसूत्र-अनुवादक-जैनधर्मदिवाकर आचार्य श्री आत्मारामजी महाराज / प्रकाशक-प्राचार्य श्री आत्माराम जैन प्रकाशन समिति, लुधियाना / प्रथम संस्करण : 1964 ई०। 5. उपासकदशांगसूत्रम् - अनुवादक-वी० घीसूलाल पितलिया। प्रकाशक-अ० भा० साधुमार्गी जैन संस्कृति रक्षक संघ, सैलाना [मध्यप्रदेश] / प्रथम संस्करण : 1977 ई० / 6. उवासगदसामो-श्रीमद् अभयदेव सूरि विरचित मूल अने टीकाना अनुवाद सहित [लिपि-देवनागरी, भाषा-गुजराती] अनुवादक अने प्रकाशक-पं० भगवानदास हर्षचन्द्र / प्रथम संस्करण : वि० सं० 1992 ई०, जैनानन्द पुस्तकालय, गोपीपुरा, सूरत। 7. अंगसुत्ताणि-३. सम्पादक मुनि नथमलजी / प्रकाशक जैन विश्व भारती, लाडनू। प्रथम संस्करण : सं० 2031 / 8. उपासकदशांग-अनुवादक, सम्पादक-डॉ० जीवराज घेलाभाई दोशी, अहमदाबाद __ [देवनागरी लिपि, गुजराती भाषा] / 9. उपासकदशासूत्र--सम्पादक, अनुवादक-बाल-ब्रह्मचारी पं० मुनि श्री अमोलक ऋषिजी महाराज / प्रकाशक- हैदराबाद-सिकंदराबाद जैन संध, हैदराबाद [दक्षिण] / वीराब्द 2442-2446 ई० / इन सब प्रतियों का मिलान कर, भिन्न-भिन्न प्रतियों की उपयोगी पूरकता का उपयोग कर [31] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org