________________ संग्रह-मायाओं का विवरण] [197 कुडकौलिक 60 हजार सकडालपुत्र महाशतक नन्दिनीपिता सालिहीपिता श्रमणोपासकों की सम्पत्ति निम्नांकित स्वर्ण-मुद्रामों में थीश्रमणोपासक स्वर्ण-मुद्राएं प्रानन्द 12 करोड़ कामदेव चुलनीपिता सुरादेव चुल्लशतक कुडकौलिक सकडालपुत्र महाशतक कांस्य-परिमित नन्दिनीपिता सालिहीपिता आनन्द आदि श्रमणोपासकों ने निम्नांकित 21 बातों में मर्यादा की थी 1. शरीर पोंछने का तौलिया, 2. दतौन, 3. केश एवं देह-शुद्धि के लिए फल-प्रयोग, 4. मालिश के तैल, 5. उबटन, 6. स्नान के लिए पानी, 7 पहनने के वस्त्र, 8. विलेपन, 9. पुष्प, 10. आभूषण, 11. धूप, 12. पेय, 13. भक्ष्य-मिठाई, 14. अोदन-चावल, 15. सूप-दालें, 16. घृत, 17. शाक, 18. माधुरक--मधु पेय, 19. व्यंजन-दहीबड़े, पकोड़े आदि, 20. पीने का पानी, 21. मुखवास--पान तथा उसमें डाले जाने वाले सुगन्धित मसाले / इन दस श्रमणोपासकों में आनन्द तथा महाशतक को अवधि-ज्ञान प्राप्त हुआ, जिसकी मर्यादा या विस्तार निम्नांकित रूप में थाआनन्द -पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में लवण समुद्र में पांच-पांच सौ योजन तक, उत्तर दिशा में चुल्ल हिमवान् वर्षधर पर्वत तक, ऊर्ध्व-दिशा में सौधर्म देवलोक तक, अधोदिशा में प्रथम नारक भूमि रत्नप्रभा में लोलुपाच्युत नामक स्थान तक / महाशतक--पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में लवण-समुद्र में एक-एक हजार योजन तक, उत्तर दिशा में चुल्लहिमवान् वर्षधर पर्वत तक, अधोदिशा में प्रथम नारक भूमि रत्नप्रभा में लोलुपाच्युत नामक स्थान तक / ' प्रत्येक श्रमणोपासक ने 11-11 प्रतिमाएं स्वीकार की थां, जो निम्नांकित हैं--- / / / / / / / / / / 12 // / 1. महाशतक के अवधिज्ञान के विस्तार का गाथा में उल्लेख नहीं है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org