________________ 198] [उपासकदशांगसूत्र 1. दर्शन-प्रतिमा, 2. व्रत-प्रतिमा, 3. सामायिक प्रतिमा, 4. पोषध-प्रतिमा, 5. कायोत्सर्गप्रतिमा, 6. ब्रह्मचर्य-प्रतिमा, 7. सचित्ताहार-वर्जन-प्रतिमा, 8. स्वयं प्रारम्भ-वर्जन-प्रतिमा, 9. भृतक-प्रेष्यारम्भ-वर्जन-प्रतिमा, 10. उद्दिष्ट-भक्त-वर्जन-प्रतिमा, 11. श्रमणभूत-प्रतिमा। इन सभी श्रमणोपासकों ने 20-20 वर्ष तक श्रावक-धर्म का पालन किया, अन्त में एक महीने की संलेखना तथा अनशन द्वारा देह-त्याग किया, सौधर्म देवलोक में चार-चार पल्योपम की आयु वाले देवों के रूप में उत्पन्न हुए / देव-भव के अनन्तर सभी महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होंगे, मोक्ष-लाभ करेंगे। / उपाशकदशा समाप्त / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org