________________ [उपासकवांगसूत्र 196] चुलनीपिता सुरादेव चुल्लशतक कुडकौलिक देव द्वारा मातृवध की धमकी से व्रत-भंग, प्रायश्चित्त। देव द्वारा सोलह भयंकर रोग उत्पन्न कर देने की धमकी से व्रत-भंग, प्रायश्चित्त / देव द्वारा स्वर्ण-मुद्राएं आदि सम्पत्ति बिखेर देने की धमकी से व्रत-भंग, प्रायश्चित्त / देव द्वारा उत्तरीय एवं अंगूठी उठा कर गोशालक मत की प्रशंसा, कुडकौलिक की दृढता, नियतिवाद का खण्डन, देव का निरुत्तर होना। व्रतशील पत्नी अग्निमित्रा द्वारा भग्न-व्रत पति को पुनः धर्म स्थित करना। व्रत-हीन रेवती का उपसर्ग, कामोद्दीपक व्यवहार, महाशतक की अविचलता / व्रताराधना में कोई उपसर्ग नहीं हुआ। व्रताराधना में कोई उपसर्ग नहीं हुआ। श्रमणोपासक देह त्याग कर निम्नांकित विमानों में उत्पन्न हुए विमान सकडालपुत्र महाशतक नन्दिनीपिता सालिहीपिता श्रमणोपासक आनन्द कामदेव चुलनीपिता सुरादेव चुल्लशतक कुडलौलिक सकडालपुत्र महाशतक नन्दिनीपिता सालिहीपिता अरुण अरुणाभ अरुणप्रभ अरुणाकान्त अरुणश्रेष्ठ अरुणध्वज अरुणभूत अरुणावतंस अरुणगव अरुणकील श्रमणोपासकों के गोधन की संख्या निम्नांकित रूप में थी गायों की संख्या हजार श्रमणोपासक आनन्द कामदेव चुलनीपिता सुरादेव चुल्लशतक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org