________________ द्वितीय अध्ययन : गाथापति कामदेव] [85 में इतनी दृढता बनाए रख सकता है तो आप सबका तो ऐसा करना कर्तव्य है ही / साधक को कभी कष्टों से घबराना नहीं चाहिए, उनको दृढता से झेलते रहना चाहिए। इससे साधना निर्मल और उज्ज्वल बनती है। ___ भगवान् की दृष्टि में कामदेव का आचरण धार्मिक दृढता के सन्दर्भ में एक प्रेरक उदाहरण था, इसलिए उन्होंने सार्वजनिक रूप में उसकी चर्चा करना उपयोगी समझा / कामदेव ने जिज्ञासा से भगवान् से अनेक प्रश्न पूछे, समाधान प्राप्त किया, वन्दन-नमस्कार कर वापस लौट आया / पोषध का समापन किया। कामदेव अपने को उत्तरोत्तर, अधिकाधिक साधना में जोड़ता गया / उसके परिणाम उज्ज्वल से उज्ज्वलतर होते गए, भावना अध्यात्म में रमती गई। उसके उपासनामय जीवन का संक्षिप्त विवरण यों है कामदेव ने बीस वर्ष तक श्रमणोपासक-धर्म का सम्यक् परिपालन किया, ग्यारह प्रतिमाओं की आराधना की, एक मास की अन्तिम संलेखना तथा अनशन द्वारा समाधिपूर्वक देह-त्याग किया। वह सौधर्म कल्प के सौधर्मावतंसक महाविमान के ईशान कोण में स्थित अरुणाभ नामक विमान में चार पल्योपम आयुस्थितिक देव हुअा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org