________________ सैतालीसवें समवाय का पहला सूत्र-'जया णं सूरिए सवभितर... ...' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति 52 में भी सूर्यदर्शन का इसी तरह वर्णन प्राप्त है। अड़तालीसवें समवाय का पहला सूत्र-- एगमेगस्स णं रन्नो.......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति 53 में भी प्रत्येक चक्रवर्ती के अड़तालीस हजार पट्टण बताये हैं। अड़तालीसवें समवाय का तीसरा सूत्र- 'सूरमंडले णं अडयालीसं....' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति 54 में भी मूर्यविमान का विष्कम्भ एक योजन के इकसठ भागों में से अड़तालीस भाग जितना है। उनपचासवें समवाय का दूसरा सूत्र-'देवकुरु-उत्तरकुरुएसु णं .......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिः५५ में भी देवकुरु और उत्तरकुरु के मनुष्य उनपचास अहोरात्रि में युवा हो जाते कहे हैं / पचासवें समवाय का चौथा सूत्र--'सबेवि णं दोहवेयड्ढा मूले .......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति 256 में भी सर्वदीर्घ वैताढ्य पर्वतों के मूल का विष्कंभ पचास योजन का है। पचासवें समवाय का छठा मूत्र-सव्वाओ णं तिमिस्सगुहाओ......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति 657 में भी सर्व तिमिश्र गुफा और खण्डप्रपात गुफाओं का आयाम पचास-पचास योजन का है। पनवें समवाय का पहला सूत्र –'देवकुरु-उत्तरकुरुयाओ......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति३५८ में भी देव कुरु और उत्तरकुरु की जीवा का आयाम पन हजार योजन का बताया है। पनवें समवाय का दूसरा सूत्र—'महाहिमवंतरुप्पोणं........' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति 656 में भी महाहिमवंत और रुक्मी आदि के आयाम का वर्णन है। पचपनवें समवाय का दूसरा सूत्र-'मन्दरस्स णं पब्वयस्स........ ' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में भी मेरुपश्चिमी चरमान्त से विजयद्वार के पश्चिमी चरमान्त का अव्यवहित अन्तर पचपन हजार योजन का है। सत्तावनवें समवाय का पांचवा सूत्र-'महाहिमवंत-रुप्पीणं .......' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में भी महाहिमवंत जौर रुक्मी वर्षधर पर्वतों की जीवा का वर्णन है। साठवें समवाय का पहला सूत्र-'एग मेगे णं मंडले........' है तो जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति 62 में भी वर्णन है कि प्रत्येक मण्डल में सूर्य साठ-साठ मुहूर्त पूरे करता है। 652. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष 7 सूत्र 133 653. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष 3 सूत्र 69 654. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष 7 सूत्र 130 655. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष 2 सूत्र 25 656. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष 1 सूत्र 12 657. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-बक्ष 1 सूत्र 12 658. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष 4 सूत्र 87 659. जम्बुद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष 4 सूत्र 79 660. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष 1 सूत्र 8 661. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष 4 सूत्र 79 662. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-वक्ष 6 सूत्र 127 [ 97 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org