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________________ अतीत-अनागतकालिक महापुरुष] [241 1. नन्द, 2. नन्दमित्र, 3. दीर्घबाहु, 4. महाबाहु, 5. अतिबल, 6. महाबल 7. बलभद्र, 8. द्विपृष्ठ और 9. त्रिपृष्ठ ये नो आगामी उत्सर्पिणो काल में नौ वृष्णी या वासुदेव होंगे। तथा 1. जयन्त, 2. विजय, 3. भद्र, 4. सुप्रभ, 5. सुदर्शन, 6. आनन्द, 7. नन्दन, 8. पद्म, और अन्तिम 9. संकर्षण ये नौ बलदेव होंगे // 85-86 // ६७३–एएसि णं नवण्हं बलदेव-वासुदेवाणं पुष्वविया णव नामधेज्जा भविस्संति, गव धम्मायरिया भविस्संति, नव नियाणभूमीओ भविस्संति, नव नियाणकारणाभविस्संति, नव पडिसत्त भविस्संति / तं जहा तिलए य लोहजंघे वहरजंघे य केसरी पहराए / अपराइए य भोमे महाभीमे य सुग्गोवे // 87 // एए खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं। सब्बे वि चक्कजोही हम्महिंति सचवकेहिं // 8 // इन नवों बलदेवों और वासुदेवों के पूर्वभव के नौ नाम होंगे, नौ धर्माचार्य होंगे, नौ निदानभूमियाँ होंगी, नौ निदान-कारण होंगे और नौ प्रतिशत्रु होंगे / जैसे 1. तिलक, 2. लोहजंघ, 3. वज्रजंघ, 4. केशरी, 5. प्रभराज, 6. अपराजित, 7. भीम, 8. महाभीम, और 9. सुग्रीव / कीर्तिपुरुष वासुदेवों के ये नौ प्रतिशत्रु होंगे। सभी चक्रयोधी होंगे और युद्ध में अपने चक्रों से मारे जायेंगे // 87-88 / / __६७४–जंबुद्दोवे [णं दोवे] एरवए वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए चउव्वीसं तित्थकरा भविस्संति / तं जहा-- सुमंगले य सिद्धत्थे णिव्वाणे य महाजसे / धम्मज्झए य अरहा आगमिस्साण होक्खई / / 89 // सिरिचंदे पुप्फकेऊ महाचंदे य केवली। सुयसागरे य अरहा आगमिस्साण होक्खई // 9 // सिद्धत्थे पुण्णघोसे य महाघोसे य केवली / सच्चसेणे य अरहा आगमिस्साण होक्खई // 11 // सूरसेणे य अरहा महासेणे य केवली। सव्वाणंदे य अरहा देवउत्ते य होक्खई // 92 // सुपासे सुव्वए अरहा रहे य सुकोसले / अरहा प्रणंतविजए आगमिस्साण होक्खइ // 93 // विमले उत्तरे अरहा अरहा य महाबले। देवाणंदे य अरहा आगमिस्साण होक्खई // 94 // एए वुत्ता चउव्वीसं एरवयम्मि केवलो। आगमिस्साण होक्खंति धम्मतित्थस्स देसगा // 9 // इसी जम्बूद्वीप के ऐरवत वर्ष में आगामी उत्सर्पिणी काल में चौवीस तीर्थकर होंगे। जैसे१. सुमंगल, 2. सिद्धार्थ, 3. निर्वाण, 4. महायश, 5. धर्मध्वज, ये अरहन्त भगवन्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003472
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Hiralal Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages377
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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