________________ अतीत-अनागतकालिक महापुरुष [233 .. ६५३-एएसि बारसण्हं चक्कवट्टीणं बारस इत्थिरयणा होस्था / तं जहा पढमा होइ सुभद्दा भद्द सुणंदा जया य विजया य / किण्हसिरी सूरसिरी पउमसिरी वसुधरा देवी // 50 // लच्छिमई कुरुमई इत्थीरयणाण नामाई। इन बारह चक्रवतियों के बारह स्त्रीरत्न थे / जैसे 1. प्रथम सुभद्रा, 2. भद्रा, 3. सुनन्दा, 4. जया, 5. विजया, 6. कृष्णश्री, 7. सूर्यश्री, 8. पद्मश्री, 9. बसुन्धरा, 10. देवो, 11. लक्ष्मीमती और 12. कुरुमती। ये स्त्रीरत्नों के नाम हैं / / (50-503) // ६५४--जंबुद्दीवे [णं दीवे भारहे वासे इमीसे अोसप्पिणीए] नवबलदेव-नववासुदेव-पितरो होत्था / तं जहा पथावई य बंभो [सोमो रुद्दो सिवो महसिवो य।। अग्गिसिहो य दसरहो नवमो भणिओ य वसुदेवो // 51 // ] ___इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी में नौ बलदेवों और नौ वासुदेवों के नौ पिता हुए। जैसे 1. प्रजापति, 2. ब्रह्म, 3. सोम, 4. रुद्र, 5. शिव, 6. महाशिव, 7. अग्निशिख, 8. दशरथ और 9. वसुदेव / / 51 / / ६५५–जंबुद्दीवे णं [दीवे भारहे वासे इमोसे प्रोसप्पिणीए] णव वासुदेवमायरो होत्था / तं जहा--- मियावई उमा चेव पुहवी सोया य अम्मया। लच्छिमई सेसमई केकई देवई तहा // 52 // इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में नौ वासुदेवों की नौ माताएं हुई / जैसे--- 1. मृगावती, 2. उमा, 3. पृथिवी, 4. सीता, 5. अमृता, 6. लक्ष्मीमती, 7. शेषमती, 8. केकयी और 9. देवकी / / 52 / / ६५६-जंबुद्दीवे णं [दीवे भारहे वासे इमीमे ओसप्पिणीए] णव बलदेवमायरो होत्था। तं जहा भद्दा तह सुभद्दा य सप्पभा य सुदंसणा। विजया वेजयंती य जयंती अपराजिया // 53 // णवमीया रोहिणी य बलदेवाण मायरो। इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में नौ बलदेवों की नौ माताएं हुईं। जैसे 1. भद्रा, 2. सुभद्रा, 3. सुप्रभा, 4. सुदर्शना, 5. विजया, 6. वैजयन्ती, 7. जयन्ती, 8. अपराजिता और 9. रोहिणी / ये नौ बलदेवों की माताएं थीं / / 53 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org