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________________ 232] [समवायाङ्गसूत्र 9. वारुणी, 10. सुलसा, 11. धारिणी, 12. धरणी, 13. धरणिधरा, 14. पद्मा, 15. शिवा, 16. शुचि, 17. अंजुका, 18. भावितात्मा, 19. बन्धुमती, 20. पुष्पवती, 21. आर्या अमिला, 22. यशस्विनी, 23. पुष्पचूला और 24. आर्या चन्दना / ये सब उत्तम उन्नत कुलवाली, विशुद्धवाली, गुणों से संयुक्त थीं और तीर्थ-प्रवर्तक जिनवरों की प्रथम शिष्याएं हुईं // 43-453 / / 650 --जंबुद्दीवे णं [दोवे] भारहे वासे इमोसे ओसप्पिणीए बारस चक्कवट्टिपियरो होत्मा। तं जहा उसभे सुमित्ते विजए समुद्दविजए य आससेणे य / विस्ससेणे य सूरे सुदंसणे कत्तवीरिए चेव // 46 // पउमुत्तरे महाहरी विजए राया तहेव य। बंभे बारसमे उत्ते पिउनामा चक्कवट्टोणं // 47 // इस जम्बूद्वीप के इसी भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में उत्पन्न हुए चक्रवतियों के बारह पिता थे। जैसे 1. ऋषभजिन, 2. सुमित्र, 3. विजय, 4. समुद्रविजय, 5 अश्वसेन, 6 विश्वसेन, 7. सूरसेन, 8. कार्तवीर्य, 9. पद्मोत्तर, 10. महाहरि, 11. विजय और 12. ब्रह्म। ये बारह चक्रवत्तियों के पितानों के नाम हैं / / 46-47 / / ६५१-जंबुद्दीवे [णं दीवे] भारहे वासे इमोसे प्रोसप्पिणीए बारस चक्कट्टिमायरो होत्था / तं जहा-सुमंगला जसवती भद्दा सहदेवी अइरा सिरिदेवी तारा जाला मेरा वप्पा चुल्लिणि अपच्छिमा। __इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में बारह चक्रवर्तियों की बारह माताएं हुई / जैसे 1. सुमंगला, 2. यशस्वती, 3. भद्रा, 4. सहदेवी, 5. अचिरा, 6. श्री, 7. देवी, 8. तारा, 9. ज्वाला, 10. मेरा, 11. वप्रा, और 12. बारहवीं चुल्लिनी। 652 --जंबुद्दीवे [णं दीवे भारहे वासे इमोसे प्रोसप्पिणीए] बारस चक्कवट्टी होत्था / तं जहा भरहो सगरो मघवं [ सणंकुमारो य रायसदूलो। संती कुयू य अरो हवइ सुभूमो य कोरवो // 48 // नवमो य महापउमो हरिसेणो चेव रायसदूलो। जयनामो य नरवई बारसमो बंभदत्तो य॥४९॥ इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में इसी अवसर्पिणी काल में बारह चक्रवर्ती हुए / जैसे 1. भरत, 2. सगर, 3. मघवा, 4. राजशार्दूल सनत्कुमार, 5. शान्ति, 6. कुन्थु, 7. पर, 8. कौरव-वंशी सुभूम, 9. महापद्म, 10. राजशार्दूल हरिषेण, 11. जय और 12. बारहवां नरपति ब्रह्मदत्त / / 48-49 / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003472
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Hiralal Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages377
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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