________________ अनेकोतरिका-वृद्धि-समवाय [सार्धशत से कोटाकोटि पर्यन्त] ४५१-चंदप्पभे गं अरहा दिवड्ढं धणुस्सयं उड्ढे उच्चत्तेणं होत्था। प्रारणकप्पे दिवड्ढे विमाणावाससयं पण्णत्तं / एवं अच्चुए वि 150 / चन्द्रप्रभ अर्हत डेढ़ सौ धनुष ऊंचे थे / पारण कल्प में डेढ़ सौ विमानावास कहे गये हैं। अच्युत कल्प भी डेढ़ सौ (150) विमानावास वाला कहा गया है / ४५२-सुपासे णं अरहा दो धणुसया उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था / सुपार्श्व अर्हत् दो सौ धनुष ऊंचे थे। ४५३-सव्वे वि णं महाहिमवंत-रुप्पीवासहरपन्वया दो दो जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता। दो दो गाउयसयाइं उव्वेहेणं पण्णत्ता। सभी महाहिमवन्त और रुक्मी वर्षधर पर्वत दो-दो सौ योजन ऊंचे हैं और वे सभी दो-दो गव्यूति उद्वेध वाले (गहरे) हैं / ४५४-जंबुद्दोवे णं दीवे दो कंचणपन्वयसया पण्णत्ता 200 / इस जम्बूद्वीप में दो सौ कांचनक पर्वत कहे गये हैं 200 / ४५५-पउमप्पभे णं अरहा अड्डाइज्जाई धणुसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था। पद्मप्रभ ग्रहत् अढाई सौ धनुष ऊंचे थे। ४५६-असुरकुमाराणं देवाणं पासायडिसगा अड्डाइज्जाइं जोयणसयाई उड्ढे उच्चत्तेणं पण्णत्ता 250 / असुरकुमार देवों के प्रासादावतंसक अढाई सौ योजन ऊंचे कहे गये हैं 250 / ४५७–सुमई णं अरहा तिणि धणुसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था / अरिटुनेमी णं अरहा तिण्णि वाससयाई कुमारवासमझे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए। सुमति अर्हत् तीन सौ धनुष ऊंचे थे / अरिष्टनेमि अर्हन् तीन सौ वर्ष कुमारवास में रह कर मुडित हो अगार से अनगारिता में प्रवजित हुए। ४५८.-वेमाणियाणं देवाणं विमाणपागारा तिणि तिष्णि जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ता। वैमानिक देवों के विमान-प्राकार (परकोटा) तीन-तीन सौ योजन ऊंचे हैं / ४५९-समणस्स [णं] भगवओ महावीरस्स तिन्नि सयाणि चोद्दसपुटवीणं होत्था। पंचधणुसइयस्स णं अंतिमसारीरियस्स सिद्धिगयस्स सातिरेगाणि तिण्णि-धणसयाणि जीवप्पदेसोगाहणा पण्णत्ता 300 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org