________________ द्विसप्ततिस्थानक समवाय] 42. चन्द्रचर्या-चन्द्र के संचार और समकोण, वक्रकोण आदि से उदय हुए चन्द्र के निमित्त से शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना। 43. सूर्यचर्या--सूर्य संचार-जनित उपरागों के शुभ-अशुभ फल को जानना / 44. राहुचर्या-राहु की गति और उसके द्वारा चन्द्र आदि ग्रहण का फल जानना। 45. ग्रहचर्या-...ग्रहों के संचार के शुभ-अशुभ फलों को जानना। 46. सौभाग्यकर-सौभाग्य बढ़ाने वाले उपायों को जानना / 47. दौर्भाग्यकर--दौर्भाग्य बढ़ाने वाले उपायों को जानना। 48. विद्यागत-अनेक प्रकार की मंत्र-विद्याओं को जानना 49. मन्त्रगत--अनेक प्रकार के मन्त्रों को जानना। 50. रहस्यगत अनेक प्रकार के गुप्त रहस्यों को जानना / 51. सभास-प्रत्येक वस्तु के वृत का ज्ञान / 52. चारकला-गुप्तचर, जासूसी को कला / 53. प्रतिचारकला--ग्रह आदि के संचार का ज्ञान / रोगी आदि की सेवा शुश्रूषा का ज्ञान / 54. व्यूहकला-युद्ध में सेना की गरुड आदि आकार की रचना करने का ज्ञान / 55. प्रतिव्यूहकला-शत्रु की सेना के प्रतिपक्ष रूप में सेना की रचना करने का ज्ञान / 56. स्कन्धावारमान-सेना के शिविर, पड़ाव आदि के प्रमाण का जानना / 57. नगरमान-नगर की रचना का जानना। 58. वास्तूमान-मकानों के मान-प्रमाण का जानना। 59. स्कन्धावारनिवेश सेना को युद्ध के योग्य खड़े करने या पड़ाव का ज्ञान / 60. वस्तुनिवेश -वस्तुओं को यथोचित स्थान पर रखने की कला / 61. नगरनिवेश नगर को यथोचित स्थान पर बसाने की कला / 62. इण्वस्त्रकला-बाण चलाने की कला। 63. छरुप्प्रवाद कला-तलवार की मूठ आदि बनाना / 64. अश्वशिक्षा-घोड़ों के वाहनों में जोतने और युद्ध में लड़ने की शिक्षा देने का ज्ञान / 65. हस्तिशिक्षा हाथियों के संचालन करने की शिक्षा देने का ज्ञान / 66. धनुर्वेद-शब्दवेधी आदि धनुर्विद्या का विशिष्ट ज्ञान होना। 67. हिरण्यपाक-सुवर्णपाक, मणिपाक, धातुपाक--चांदी, सोना, मणि और लोह आदि धातुओं को गलाने, पकाने और उनकी भस्म आदि बनाने की विधि जानना। 68. बाहुयुद्ध, दंडयुद्ध, मुष्टि युद्ध, यष्टियुद्ध, सामान्य युद्ध, नियुद्ध, युद्धातियुद्ध आदि नाना प्रकार के युद्धों को जानना।। 69. सूत्रखेड, नालिकाखेड, वर्त्तखेड, धर्मखेड चर्मखेड, आदि अनेक प्रकार के खेलों का जानना / 70. पत्रच्छेद्य, कटकछेद्य-पत्रों और काष्ठों के छेदन-भेदन की कला जानना / 71. सजीव-निर्जीव-सजीव को निर्जीव और निर्जीव को सजीव जैसा दिखाना / 72. शकुनिरुत- पक्षियों की बोली जानना / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org