________________ | समवायाङ्गसंत्र 10. द्यूतकला-जुआ खेलने की कला / 11. जनवादकला-जनश्रुति और किंवदन्तियों को जानना / 12. पूष्करगतकला-वाद्य-विशेष का ज्ञान / 13. अष्टापदकला-शतरंज, चौसर आदि खेलने की कला। 14. दकमृत्तिकाकला--जल के संयोग से मिट्टी के खिलौने आदि बनाने की कला / 15. अन्नविधिकला-अनेक प्रकार के भोजन बनाने की कला / 16. पानविधिकला--अनेक प्रकार के पेय पदार्थ बनाने की कला / 17. वस्त्रविधिकला-अनेक प्रकार के वस्त्र-निर्माण की कला। 18. शयनविधि-सोने की कला / अथवा सदनविधि-गृह-निर्माण की कला / 19. आर्याविधि-आर्या छन्द बनाने की कला / 20. प्रहेलिका–पहेलियों को जानने की कला / गूढ अर्थ वाली कविता करना / 21. मागधिका--स्तुति-पाठ करने वाले चारण-भाटों को कला। 22. गाथाकला-प्राकृत प्रादि भाषाओं में गाथाएं रचने की कला / 23. श्लोककला-संस्कृतभाषा में श्लोक रचने की कला / 24. गन्धयुति-अनेक प्रकार के गन्धों और द्रव्यों को मिलाकर सुगन्धित पदार्थ बनाने की कला। 25. मधुसिक्थ---स्त्रियों के पैरों में लगाया जाने वाला माहुर बनाने की कला / 26. आभरणविधि-आभूषण बनाने की कला। 27. तरुणोप्रतिकर्म-युवती स्त्रियों के अनुरंजन की कला। 28. स्त्रीलक्षण—स्त्रियों के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानने की कला / 29. पुरुषलक्षण--पुरुषों के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानने की कला। 30. हयलक्षण-घोड़ों के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानने की कला / 31. गजलक्षण हाथियों के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना / 32. गोणलक्षण-बैलों के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना / 33. कुक्कुटलक्षण-मुर्गों के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना / 34. मेढलक्षण—मेषों--मेढ़ों के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना / 35. चक्रलक्षण—चक आयुध के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना / 36. छत्रलक्षण-छत्र के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना। 37. दंडलक्षण-हाथ में लेने के दंड, लकडी आदि के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना। 38. असिलक्षण-खड्ग, तलवार, वी आदि के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना / 39. मणिलक्षण-मणियों के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना / 40. काकणीलक्षण -काकणी नामक रत्न के शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना / 41. चर्मलक्षण--चमड़े की परीक्षा करने की कला / अथवा चर्मरल में शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org