________________ षत्रिंशत्स्थानक समवाय] [105 - कुन्थु अर्हन् पैतीस धनुष ऊंचे थे। दत्त वासुदेव पैंतीस धनुष ऊंचे थे / नन्दन बलदेव पैंतीस धनुष ऊंचे थे। २२४-सोहम्मे कप्पे सुहम्माए सभाए माणवए चेइयक्खंभे हेटा उरिं च अद्धतेरस जोयणाणि वज्जेत्ता मज्झे पण्णतीसं जोयणेसु वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएस जिणसकहानो पण्णत्ताओ। सौधर्म कल्प में सुधर्मा सभा के माणवक चैत्यस्तम्भ में नीचे और ऊपर साढ़े बारह-साढ़े बारह योजन छोड़ कर मध्यवर्ती पैंतीस योजनों में, वज्रमय, गोल वर्तुलाकार पेटियों में जिनों की मनुष्यलोक में मुक्त हुए तीर्थंकरों की अस्थियां रखी हुई हैं। २२५–बितिय-चउत्योसु दोसु पुढवीए पणतीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। दूसरी और चौथी पृथिवियों में (दोनों के मिला कर) पैतीस (25-+ 10 = 35) लाख नारकावास कहे गये हैं। // पंचत्रिंशत्स्थानक समवाय समाप्त / / षत्रिंशत्स्थानक-समवाय २२६-छत्तीसं उत्तरज्झयणा पण्णत्ता / तं जहा--विणयस्यं 1, परीसहो 2, चाउरंगिज्जं 3, असंखयं 4, अकाममरणिज्जं 5, पुरिसविज्जा 6, उरभिज्ज 7, काविलियं 8, नमिपवज्जा 9, दुमपत्तयं 10, बहुसुयपूजा 11, हरिएसिज्ज 12, चित्तसंभूयं 13, उसुयारिज्जं 14, सभिक्खुगं 15, सामाहिठाणाई 16, पावसमणिज्ज 17, संजइज्ज 18, मियचारिया 19, अणाहपव्वज्जा 20, समुद्दपालिज्ज 21, रहनेमिज्जं 22, गोयम-केसिज्ज 23, समितीनो 24, जन्नतिजं 25, सामायारी 26, खलुकिज्ज 27, मोक्खमग्गगई 28, अप्पमानो 29, तवोमग्गो 30, चरणविही 31, पमायठाणाई 32, कम्मपयडी 33, लेसज्झयणं 34, अणगारमग्गे 35, जीवाजीवविभत्ती य 36 / उत्तराध्ययन सूत्र के छत्तीस अध्ययन हैं / जैसे-१. विनयश्रुत अध्ययन 2. परीषह अध्ययन, 3. चातुरङ्गीय अध्ययन, 4. असंस्कृत अध्ययन, 5, अकाममरणीय अध्ययन, 6. पुरुष विद्या अध्ययन (क्षुल्लक निर्ग्रन्थीय अध्ययन) 7. औरभ्रीय अध्ययन 8. कापिलीय अध्ययन, 9. नमिप्रव्रज्या अध्ययन, 10. द्रमपत्रक अध्ययन, 11. बहश्रतपूजा अध्ययन, 12. हरिकेशीय अध्ययन, 13. चित्तसंभूतीय अध्ययन, 14. इषुकारोय अध्ययन, 15. सभिक्षु अध्ययन, 16. समाधिस्थान अध्ययन, 17. पापश्रमणीय अध्ययन, 18. संयतीय अध्ययन, 19. मृगापुत्रीय अध्ययन, 20. अनाथ प्रव्रज्या अध्ययन, 21. समुद्रपालीय अध्ययन, 22. रथनेमीय अध्ययन, 23. गौतमकेशीय अध्ययन, 24. समिति अध्ययन, 25. यज्ञीय अध्ययन, 26. सामाचारी अध्ययन, 27. खलुकीय अध्ययन, 28. मोक्षमार्गगति अध्ययन, 29. अप्रमाद अध्ययन, (सम्यक्त्व पराक्रम) 30. तपोमार्ग अध्ययन, 31. चरण विधि अध्ययन, 32. प्रमादस्थान अध्ययन, 33. कर्मप्रकृति अध्ययन, 34. लेश्या अध्ययन, 35. अनगारमार्ग अध्ययन और 36. जीवाजीवविभक्ति अध्ययन / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org