________________ एकोनविंशतिस्थानक समवाय ज्ञाता-अध्ययन, जम्बूद्वीप में सूर्य, शुक्र महाग्रह, जम्बूद्वीप, तीर्थंकरों का अगारवास, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / विशतिस्थानक समवाय असमाधिस्थान, मुनिसुव्रत की अवगाहना, घनोदधि का बाहल्य, प्राणतेन्द्र के सामानिक देव, कर्मस्थिति, प्रत्याख्यानपूर्व के वस्तु, कालचक्र, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि / एकविंशतिस्थानक समवाय शबल दोष, कर्मप्रकृति, पंचम-षष्ठ आरक का कालप्रमाण, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / द्वाविंशतिस्थानक समवाय परीषह, दृष्टिवाद, पुद्गलपरिणाम, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / त्रयोविंशतिस्थानकः समवाय सूत्रकृतांग के अध्ययन, तेईस तीर्थकरों को सूर्योदयकाल में केवलज्ञान, पूर्वभव में एकादशांगी, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, पाहार, सिद्धि / चतुविशतिस्थानक समवाय देवाधिदेव (तीर्थ कर), चुल्लहिमवंत-शिखरिजीवा, स-इन्द्र देवस्थान, उत्तरायणसुर्य, गंगा, गंगा सिन्धु महानदी, रक्ता-रक्तोदा महानदी, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि / पंचविशतिस्थानक समवाय पंच यामों की भावनाएं, मल्लिनाथ की अवगाहना, दीर्घवैताढय पर्वत, दूसरी पृथ्वी के नारकावास, आचारांग के अध्ययन, मिथ्याष्टि-विकलेन्द्रिय का कर्मप्रकृतिबंध, मंगा-सिन्धु, रक्ता रक्तवती महानदी, लोकविन्दुसार के वस्तु, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / षविंशतिस्थानक समवाय दशाकल्प-व्यवहार के उद्देशनकाल, कर्मप्रकृतिसत्ता, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / सप्तविंशतिस्थानक समवाय अनगार-गुण, नक्षत्रों से व्यवहार, नक्षत्रमास, सौधर्म-ईशान कल्प की पृथ्वी का बाहल्य, कर्म प्रकृति, सूर्य का चार, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / अष्टाविंशतिस्थानक समवाय आचारप्रकल्प, मोहकर्म की सत्ता, आभिनिबोधिक ज्ञान, ईशान कल्प में विमानों की संख्या, कर्मप्रकृतिबन्ध, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि / एकोन त्रिंशत्स्थानक समवाय पापश्रुतप्रसंग, आषाढ आदि मासों में रात्रि-दिवस की संख्या, देवों में उत्पत्ति, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org