________________ 85 103 त्रिंशस्थानक समवाय मोहनीय-स्थान, मंडितपुत्र की श्रमणपर्याय, तीस मुहतों के तीस नाम, अर तीथंकर की प्रवगाहना, सहस्रारेन्द्र के सामानिक देव, पाश्वनाथ का गृहवास, महावीर का गृहवास, रत्नप्रभापृथ्वी के नारकावास, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि। एकत्रिशत्स्थानक समवाय सिद्धों के आदिगुण, मंदरपर्वत, सूर्य का संचार, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि / द्वात्रिंशत्स्थानक समवाय योगसंग्रह, दवेन्द्र, कुन्थ, अर्हत् के केवली, सौधर्मकल्प में विमान, रेवती नक्षत्र के तारे, नाटय के प्रकार, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि / त्रयस्त्रिशत्स्थानक समवाय आसातनाएँ, चमरेन्द्र के भोम, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि / चतुस्त्रिशकस्थानक समवाय तीर्थंकरों के अतिशय, चक्रवर्ती-विजय, चमरेन्द्र के भवनावास, नारकावास। पंचत्रिंशत्स्थानक समवाय सत्यवचन के अतिशय, कुन्थु अर्हत की अवगाहना, दत्त वासुदेव की अवगाहना, नन्दन बलदेव की अवगाहना, माणवक चैत्यस्तंभ, नारकावाससंख्या। षत्रिंशत्स्थानक समवाय उत्तराध्ययन, चमरेन्द्र की सुधर्मा सभा, महावीर की प्रायिकाएँ, सूर्य की पौरुषी-छाया / सप्तस्त्रिशत्थानक समवाय कुत्थनाथ के गणधर, हैमवत-हैरण्यक की जीवा, विजयादि विमानों के प्राकार, क्षद्रिका विमान विभक्ति के उद्देशनकाल, सूर्य की छाया। अष्टत्रिशत्स्थानक समवाय पार्श्व जिन की आर्यिकाएँ, हैमवत-ऐरण्यवत की जीवाओं का धनुःपृष्ठ, मेरु के दूसरे काण्ड की ऊंचाई, विमानविभक्ति के उद्देशनकाल / एकोनचत्वारिंशस्थानक समवाय नमि जिन के अवधिज्ञानी मुनि, नारकावास, कर्मप्रकृतियाँ / चत्वारिंशत्स्थानक समवाय अरिष्टनेमि की आयिकाएँ, मंदरचलिका, भूतानन्द के भवनावास, विमानविभक्ति के तृतीय वर्ग के उद्देशनकाल, सूर्य की छाया, महाशुक्र कल्प के विमानावास / एकचत्वारिंशत्स्थानक समवाय नमि जिन की आपिकाएं, नारकावास, महाविमानविभक्ति के प्रथम वर्ग के उद्देशनकाल / द्विचत्वारिंशत्स्थानक समवाय महावीर की श्रामण्यपर्याय, आवासपर्वतों का अन्तर, कालोद समुद्र में चन्द्र-सूर्य, भजपरिसों 105 107 वाय 107 सापाय 108 109 [ 114 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org