________________ नवस्थानक-समवाय ब्रह्मचर्यगुप्तियां, अगुप्तियां, ब्रह्मचर्य-अध्ययन, पार्श्वनाथ की अवगाहना, नक्षत्र, तारा-संचार, जम्बूद्वीप में मत्सप्रवेश, विजयद्वार, वाण-व्यन्तरों की सुधर्मा सभा, दर्शनावरण की प्रकृतियाँ, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / दशस्थानक-समवाय श्रमणधर्म, समाधिस्थान, मन्दर पर्वत, अरिष्टनेमि-अवगाहना, ज्ञानवृद्धिकारी नक्षत्र, कल्पवृक्ष, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, प्राहार, मिद्धि / एकादशस्थानक-समवाय उपासकप्रतिमा, ज्योतिश्चक्र, भ. महावीर के गणधर, मूलनक्षत्र, ग्रैवेयक, मंदर पर्वत, स्थिति श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / द्वादशस्थानक-समवाय भिक्षप्रतिमा, संभोग, कृतिकर्म, विजया राजधानी, राम बलदेव, मन्दर-चलिका, जम्बूद्वीपवेदिका, जघन्य रात्रि-दिवस, ईषत्प्रारभार पृथ्वी, स्थिति, श्वासोच्छवास, पाहार, सिद्धि / त्रयोदशस्थानक-समवाय क्रियास्थान, विमानप्रस्तट, जलचरपंचेन्द्रिय जीवों की कुलकोटि, प्राणायुपूर्व की वस्तु, प्रयोग, सूर्यमंडल का विस्तार, स्थिति, आहार, सिद्धि / चतुर्दशस्थानक-समवाय भूतग्राम, पूर्व, जीवस्थान, भरत-ऐरवत-जीवा, चक्रवर्तीरत्न, महानदी, स्थिति, श्वासोच्छ्वास आहार, सिद्धि। पञ्चदशस्थानक-समवाय परमाधार्मिक देव, नमि अर्हत की अवगाहना, ध्र वराहु, नक्षत्र, 15 मुहुर्त के दिन-रात्रि, विद्यानुवादपूर्व के वस्तु, मनुष्य प्रयोग, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / षोडशस्थानक-समबाय गाथाषोडशक, कषाय, मन्दर-नाम, पावं की श्रमणसंपदा, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, स्थिति / सप्तदशस्थानक-समवाय असंयम, संयम, मानुषोत्तर पर्वत, आवासपर्वत, चारणगति, चमर का उत्पातपर्वत, मरण, कर्मप्रकृतिवेदन, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि / अष्टादशस्थानक-समवाय ब्रह्मचर्य, अरिष्टनेमि कीश्रमणसम्पदा, निर्ग्रन्थस्थान, आचारांग-पद,ब्राह्मीलिपि के लेखविधान, अस्तिनास्तिप्रवाद के वस्तु, धूमप्रभा पृथ्वी, उत्कृष्ट रात-दिन, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि। [ 112 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org