________________ विषयानुक्रमणिका प्रस्तावना लोक, धर्म, अधर्म, पुण्य, पापबन्ध एकस्थानक समवाय आत्मा, अनात्मा, दंड, अदंड, क्रिया, प्रक्रिया, लोक, अलोक, धर्म, अधर्म, पुण्य, पाप, बन्ध, मोक्ष, आस्रव, संवर, वेदना, निर्जरा / पालक यान विमान, सर्वार्थसिद्धविमान, आनिक्षत्र, चित्रानक्षत्र, स्वातिनक्षत्र, स्थिति, आहार, श्वासोच्छ्वास, सिद्धि / द्विस्थानक समवाय दंड, राशि, बन्धन, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि / त्रिस्थानक समवाय दंड, गुप्ति, शल्यं, गारव, विराधना, मृगशिर-पुष्य-ज्येष्ठा-अभिजित-श्रवण-अश्विनी-भरणी नक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, पाहार, सिद्धि / चतु:स्थानक समवाय कषाय, ध्यान, विकथा, संज्ञा, बन्ध, अनुराधा-पूर्वाषाढा-उत्तराषाढा नक्षत्र, स्थिति, श्वासो च्छ्वास, सिद्धि। पंचस्थानक समवाय क्रिया, महाव्रत, कामगुण, आस्रवद्वार, संवरद्वार, निर्जरास्थान, समिति, अस्तिकाय, रोहिणी पुनर्वसु-हस्त-विशाखा-धनिष्ठा नक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / षट्स्थानक समवाय लेश्या, जीवनिकाय, तप, छाद्मस्थिक समुदधात, अर्थावग्रह, कृत्तिका-पाश्लेषानक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि / सप्तस्थानक-समवाय भयस्थान, समुद्घात, भ. महावीर की अवगाहना, वर्षधर पर्बत, वर्ष, कर्मप्रकृतिवेदन, मघानक्षत्र, पूर्व-दक्षिण, पश्चिम-उत्तरद्वारिक नक्षत्र-निरूपण, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, माहार, सिद्धि / अष्ट स्थानक-समवाय मदस्थान, प्रवचनमाता, वाणव्यन्तरों के चैत्यवृक्ष, जंबू सुदर्शन, कदशाल्मली, जम्बूद्वीपजगती, केवलिसमुद्घात, पार्श्वनाथ के गण-गणधर नक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि / Jain Education International . For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org