________________ द्वितीय स्थान-प्रथम उद्देश ] है। तत्त्वार्थभाष्य में 25 क्रियाओं के नामों का ही निर्देश है, किन्तु सर्वार्थसिद्धि में उनका स्वरूप भी दिया गया है। इस द्विस्थानक में वर्णित क्रियाओं के साथ जब हम तत्त्वार्थसूत्र-णित क्रियाओं का मिलान करते हैं, तब द्विस्थानक में वर्णित प्रेयःप्रत्यया क्रिया और द्वषप्रत्यय क्रिया, इन दो को तत्त्वार्थसूत्र की टीकानों में नहीं पाते है। इसी प्रकार तत्त्वार्थसूत्र की टीकाओं में वर्णित समादान क्रिया और प्रयोग क्रिया, इन दो को इस द्वितीय स्थानक में नहीं पाते हैं। जैन विश्वभारती से प्रकाशित 'ठाणं' के पृ. 116 पर जो उक्त क्रियाओं की सूची दी है, उसमें 24 क्रियाओं का नामोल्लेख है। यदि अजीवक्रिया का नामोल्लेख न करके जीवक्रिया के दो भेद रूप से प्रतिपादित सम्यक्त्वक्रिया और मिथ्यात्वक्रिया का उस तालिका में समावेश किया जाता तो तत्त्वार्थसूत्रटीका-गत दोनों क्रियाओं के साथ संख्या समान हो जाती और क्रियाओं की 25 संख्या भी पूरी हो जाती। फिर भी यह विचारणीय रह जाता है कि तत्वार्थ-वणित समादान क्रिया और प्रयोग क्रिया का समावेश स्थानाङ्ग-वणित क्रियाओं में कहाँ पर किया जाय ? इसी प्रकार स्थानाङ्ग-वणित प्रेयःप्रत्यय क्रिया और द्वेषप्रत्यय क्रिया का समावेश तत्त्वार्थ-वर्णित क्रियाओं में कहाँ पर किया जाय ? विद्वानों को इसका विचार करना चाहिए। जीव-क्रियाओं की प्रमुखता होने से अजीवक्रिया को छोड़कर जीवक्रिया के सम्यक्त्वक्रिया और मिथ्यात्वक्रिया इन दो भेदों को परिगणित करने से दोनों स्थानाङ्ग और तत्त्वार्थ-गत 25 क्रियायों की तालिका इस प्रकार होती है-- स्थानाडसूत्र-गत तत्त्वार्थसूत्र-गत 1 सम्यक्त्व क्रिया 1 सम्यक्त्व क्रिया 2 मिथ्यात्व क्रिया 2 मिथ्यात्व क्रिया 3 कायिकी क्रिया 7 कायिकी क्रिया 4 प्राधिकरणिकी क्रिया 8 प्राधिकरणिकी क्रिया 5 प्रादोषिकी क्रिया 6 प्रादोषिकी क्रिया 6 पारितापनिकी क्रिया 6 पारितापिकी क्रिया 7 प्राणातिपात क्रिया 10 प्राणातिपातिकी क्रिया 8 अप्रत्याख्यान क्रिया 15 अप्रत्याख्यान क्रिया 6 आरम्भिकी क्रिया 21 प्रारम्भ क्रिया 10 पारिग्रहिकी क्रिया 22 पारिग्रहिको क्रिया 11 मायाप्रत्यया क्रिया 23 माया क्रिया 12 मिथ्यादर्शनप्रत्यया क्रिया 14 मिथ्यादर्शन क्रिया 13 दृष्टिजा क्रिया 11 दर्शन क्रिया 14 स्पृष्टिजा क्रिया 12 स्पर्शन क्रिया 15 प्रातीत्यिकी क्रिया 13 प्रात्यायिकी क्रिया 16 सामन्तोपनिपातिकी क्रिया 14 समन्तानुपात क्रिया 17 स्वाहस्तिकी क्रिया 16 स्वहस्त क्रिया 18 नैसृष्टि की क्रिया 17 निसर्ग क्रिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org