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________________ हमारे प्रकाशन : विद्वानों की दृष्टि में समीक्ष्य सूत्रों (आगमप्रकाशन समिति द्वारा प्रकाशित आचारांग प्र. भा., द्वि. भा., उपासकदशांग) के सम्बन्ध में अधोलिखित तथ्य द्रष्टव्य हैं _इसके सम्पादन और प्रस्तुतीकरण में श्रीमधुकर मुनि तथा उनके परिकर ने अविस्मरणीय परिश्रम किया है और उन्हें न केवल विद्वद्गोग्य अपितु जनभोग्य रूप में प्रस्तुत करने में उन्हें आशातीत सफलता प्राप्त हुई है। इनमें सरस-सुबोध हिन्दी का उपयोग हुआ है तथा शैली क्लिष्ट जटिल नहीं है।" कुल मिला कर इन सूत्रों की भाषा सरल, शैली सुगम और सज्जा आकर्षक है। हर रोज की बढ़ती मंहगाई में जो भी मूल्य रक्खा है, उचित और संतुलित है। हमारा विश्वास है, इन्हें व्यापक रूप में पढ़ा जाएगा और जैनागमों के रस-वैभव का प्रास्वादन किया जाएगा। ('तीर्थंकर', जनवरी 1981 से) डॉ० नेमिचन्द जैन जैन आगमों के प्रकाशन में आपकी अोर से जो प्रयास प्रारम्भ किये गये हैं, वे अत्यन्त सराहनीय हैं / (उपासकदशाङ्ग में) डॉ. शास्त्री ने मूल पाठ, अनुवाद आदि के लिए आवश्यक सतर्कता रक्खी है, यह भी बड़े सन्तोष की बात है। डा० हरिवल्लभ चुन्नीलाल भायाणी, अहमदाबाद 'उवासगदसामो' ग्रंथ मिला। धन्यवाद / डा० छगनलाल शास्त्री एक बहुश्र त, प्रतिभा के धनी विद्वान् हैं। उनके द्वारा सम्पादित, अनूदित एवं विवेचित यह ग्रंथ अपने आप में अनूठा है और फिर आप (भारिल्लजी) का तथा प० मुनि श्री मधुकरजी के सहयोग ने ग्रंथ में और निखार ला दिया है / .........." 0 डा० भागचन्द्र जैन, नागपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibropiorgar
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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