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________________ समिति द्वारा प्रकाशित आगमों पर कतिपय अभिप्राय ............"आचारांग का यह संस्करण केवल स्थानकवासी समाज में ही नहीं किन्तु समग्र जैन-जनेतर जिज्ञासुओं की श्रद्धा का भाजन बनेगा। पूज्य युवाचार्यजी महाराज ने अपने संयोजकत्व में आप (भारिल्लजी) सबका सहयोग लेकर एक उत्तम कार्य किया है। इसके लिये उन्हें जितना धन्यवाद दें, कम है। दलसुख भाई मालवणिया ........आचारांग सूत्र के अभी तक जितने भी संस्करण दृष्टिगोचर हुए हैं, उन सबकी अपेक्षा प्रस्तुत सम्पादन (आगम-प्रकाशन समिति द्वारा प्रकाशित) अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण कहा जा सकता है। भाव, भाषा, शैली की दृष्टि से यह अत्यन्त प्रभावशाली है, किन्तु इसकी सर्वाधिक विशेषता है आचार-शास्त्र की गुरुग्रन्थियों को सुलझाने में विद्वान् सम्पादक ने इसके प्राचीनतम व्याख्या-ग्रन्थों का आधार लेकर महत्त्वपूर्ण टिप्पण स्थानस्थान पर अंकित किये हैं / प्रस्तुत संस्करण साधारण जन से लेकर विद्वज्जन तक ग्राह्य एवं संग्रहणीय है / ........ 0 विजयमुनि शास्त्री For Privats & Personal use only
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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