________________ दशम स्थान] [ 727 दसाम्रो, अणुत्तरोववाइयदसाम्रो, आयारदसानो, पण्हावागरणदसाओ, बंधदसाओं, दोगिद्विदसानो, दीहदसाग्रो, संखेवियदसायो। दश दशा (अध्ययन) वाले दश आगम कहे गये हैं। जैसे-- 1. कर्मविपाकदशा, 2. उपासकदशा, 3. अन्तकृत्दशा, 4. अनुत्तरोपपातिकदशा, 5. प्राचारदशा, (दशाथ तस्कन्ध) 6. प्रश्नव्याकरणदशा, 7. बन्धदशा 8. द्विगुद्धिदशा, 6. दीर्घदशा, 10. संक्षेपकदशा (110) / १११--कम्मविवागदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहासंग्रह-श्लोक मियापुत्ते य गोत्तासे, अंडे सगडेति यावरे / माहणे गंदिसेणे, सोरिए य उदुबरे // सहसृद्दाहे प्रामलए, कुमारे लेच्छई इति // 1 // कर्मविपाकदशा के दश अध्ययन कहे गये हैं। जैसे१. मृगापुत्र, 2. गोत्रास, 3. अण्ड, 4. शकट, 5. ब्राह्मण, 6. नन्दिषेण, 7. शौरिक, 8. उदुम्बर, 6. सहस्रोद्दाह अामरक 10. कुमारलिच्छवी (111) / विवेचन-उल्लिखित सूत्र में गिनाए गए अध्ययन दुःखविपाक के हैं, किन्तु इन नामों में और वर्तमान में उपलब्ध नामों में कुछ को छोड़कर भिन्नता पाई जाती है। ११२–उवासगदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा-- पाणंदे कामदेवे प्रा, गाहाबतिचलणीपिता। सुरादेवे चुल्लसतए, गाहावतिकुडकोलिए / / सद्दालपुत्ते महासतए, गंदिणीपिया लेइयापिता // 1 // उपासकदशा के दश अध्ययन कहे गये हैं। जैसे-- 1. अानन्द, 2. कामदेव, 3. गृहपति चूलिनीपिता, 4. सुरादेव, 5. चुल्लशतक, 6. गृहपति कुण्डकोलिक, 7. सद्दालपुत्र, 8. महाशतक, 6. नन्दिनी पिता, 10. लेयिका (सालिही) पिता ११३---पंतगडदसाण दस अज्झयणा पण्णत्ता, त जहा--- णमि मातंगे सोमिले, रामगते सदसणे चेव / जमाली य भगाली य, किकसे चिल्लए ति य / / फाले अंबडपुत्ते य एमेते दस प्राहिता // 1 // अन्तकृतदशा के दश अध्ययन कहे गये हैं / जैसे१. नमि, 2. मातंग, 3. सोमिल. 4. रामगुप्त, 5. सुदर्शन, 6. जमाली 7. भगाली, 8. किंकष, 6. चिल्वक, 10. पाल अम्बडपुत्र (113) / ११४-अणुत्तरोववातियदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा-- इसिदासे य धणे य, सुणक्खत्ते कातिए ति य / संठाणे सालिमद्दे य, प्राणंदे तेतली ति य // दसण्णभद्दे प्रतिमुत्ते, एमेते दस प्राहिया // 1 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org