________________ 712] [ स्थानाङ्गसूत्र 2. उत्पादनादोष-भिक्षासम्बन्धी उत्पाद से होने वाला चारित्र का उपघात / 3. एषणादोष-गोचरी के दोष से होने वाला चारित्र का उपघात / 4. परिकर्मदोष-वस्त्र-पात्र आदि के संवारने से होने वाला चारित्र का उपघात / 5. परिहरणदोष—अकल्प्य उपकरणों के उपभोग से होने वाला चारित्र का उपघात / 6. प्रमाद आदि से होने वाला ज्ञान का उपघात / 7. शंका आदि से होने वाला दर्शन का उपघात / / 8. समितियों के यथाविधि पालन न करने से होने वाला चारित्र का उपघात / 6. अप्रीति या अविनय से होने वाला विनय आदि गुणों का उपघात / 10. संरक्षण-उपघात-शरीर, उपधि आदि में मूर्छा रखने से होने वाला परिग्रह-विरमण __ का उपधात (84) / ८५.-दसविधा विसोही पण्णत्ता, तं जहा-उग्गमविसोही, उप्पायणविसोही, (एसण विसोही, परिकम्मविसोही, परिहरणविसोही, जाणविसोही, दंसणविसोही, चरित्तविसोही, अचियत्तविसोही), सारक्खणविसोही। विशोधि दश प्रकार की कही गई है / जैसे१. उद्गम-विशोधि-उद्गम-सम्बन्धी दोषों की विशुद्धि / 2. उत्पादना-विशोधि-उत्पादन-सम्बन्धी दोषों की विशुद्धि / 3. एषणा-विशोधि—एषणा-सम्बन्धी दोषों की विशुद्धि / 4. परिकर्म-विशोधि-वस्त्र-पात्रादि संवारने से उत्पन्न दोषों की विशुद्धि / 5. परिहरण-विशोधि-अकल्प्य उपकरणों के उपभोग से उत्पन्न दोषों की विशुद्धि / 6. ज्ञान-विशोधि-ज्ञान के अंगों का यथाविधि अभ्यास न करने से लगे हुए दोषों की विशुद्धि / 7. दर्शन-विशोधि–सम्यग्दर्शन में लगे हुए दोषों की विशुद्धि / 8. चारित्र-विशोधि---चारित्र में लगे हुए दोषों की विशुद्धि / 6. अप्रीति-विशोधि–अप्रीति की विशुद्धि / 10. संरक्षण-विशोधि-संयम के साधनभूत उपकरणों में मुर्छादि रखने से लगे हुए दोषों की विशुद्धि (85) / संक्लेश-असंक्लेश-सूत्र ८६-दसविधे संकिलेसे पणते, त जहा-उवहिसंकिलेसे, उवस्सयसंकिलेसे, कसायसंकिलेसे, भत्तपाणसंकिलेसे, मणसंकिलेसे, वइसंकिलेसे, कायसंकिलेसे, णाणसंकिलेसे, सणसंकिलेसे, चरित्तसंकिलेसे। संक्लेश दश प्रकार का कहा गया है / जैसे१. उपधि-संक्लेश-वस्त्र-पात्रादि उपधि के निमित्त से होने वाला संक्लेश / 2. उपाश्रय-संक्लेश-उपाश्रय या निवास स्थान के निमित्त से होने वाला संक्लेश / 3. कषाय-संक्लेश-क्रोधादि के निमित्त से होने वाला संक्लेश। 4. भक्त-पान-संक्लेश-आहारादि के निमित्त से होने वाला संक्लेश / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org