________________ दशम स्थान] [ 666 5. साकेत-कोशल देश की राजधानी, 6. हस्तिनापुर-कुरु देश की राजधानी, 7. काम्पिल्य—पाँचाल देश की राजधानी, 8. मिथिला-विदेह देश की राजधानी, 6. कौशाम्बी-वत्स देश की राजधानी, 10. राजगृह-मगध देश की राजधानी (27) / राज-सूत्र २८-एयासु णं दससु रायहाणीसु दस रायाणो मुंडा भवेत्ता (अगाराप्रो अणगारियं) पवइया, तं जहा--भरहे, सगरे, मघवं. सणंकुमारे, संती, कुथू. अरे, महापउमे, हरिसेणे, जयणामे / इन दश राजधानियों में दश राजा मुण्डित होकर अगार से अनगारिता में प्रवजित हुए। जैसे 1. भरत, 2. सगर, 3. मघवा, 4. सनत्कुमार, 5. शान्ति. 6. कुन्थु, 7. अर, 8. महापद्म, 6. हरिषेण, 10. जय (28) / मन्दर-सूत्र "२६-जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पब्बए दस जोयणसयाई उम्बेहेणं, धरणितले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं, उरि दसजोयणसयाई विक्खंभेणं, दसदसाई जोयणसहस्साई सम्बग्गेणं पण्णत्ते // जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत एक हजार योजन भूमि में गहरा है, भूमितल पर दश हजार योजन विस्तृत है, ऊपर पण्डकवन में एक हजार योजन विस्तृत और सर्व परिमाण से एक लाख योजन ऊंचा कहा गया है (26) / दिशा-सूत्र ३०-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स बहुमज्झदेसमागे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेडिल्लेसु खुड्डगपतरेसु, एत्थ गं अट्ठपएसिए रुयगे पण्णत्ते, जो णं इमानो दस दिसानो पवहंति, तं जहा–पुरथिमा, पुरस्थिमदाहिणा, दाहिणा, दाहिणपच्चत्थिमा, पच्चस्थिमा, पच्चस्थिमुत्तरा, उत्तरा, . उत्तरपुरस्थिमा, उड्डा, प्रहा। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के बहुमध्य देश भाग में इसी रत्नप्रभा पृथिवी के ऊपर क्षुल्लक प्रतर में गोस्तनाकार चार तथा उसके नीचे के क्षल्लक प्रतर में भी गोस्तनाकार चार, कार आठ प्रदेशवाला रुचक कहा गया है। इससे दशों दिशायों का उदगम होता है। जैसे 1. पूर्व दिशा, 2. पूर्व-दक्षिण-आग्नेय दिशा, 3. दक्षिण दिशा, 4. दक्षिण-पश्चिम-नैऋत्य दिशा, 5. पश्चिम दिशा, 6. पश्चिम-उत्तर-वायव्य दिशा, 7. उत्तर दिशा, 8. उत्तर-पूर्व-ईशान दिशा, 6. ऊर्ध्वदिशा, 10. अधोदिशा (30) / ३१–एतासि णं दसण्हं दिसाणं दस णामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहासंग्रहणी-गाथा इंदा अग्गेइ जम्मा य, रती वारुणी य वायव्वा / सोमा ईसाणी य, विमला य तमा य बोद्धव्वा / / 1 / / इन दश दिशात्रों के दश नाम कहे गये हैं। जैसे 1. ऐन्द्री, 2. आग्नेयी, 3. याम्या, 4. नैऋती, 5. वारुणी, 6. वायव्या, 7. सोमा, 8. ईशानी, 6. विमला, 10. तमा (31) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org