SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 760
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 662] गसूत्र उवहरिस्सति वा। अहं च णं पायरिय-उवझायाणं सम्म बट्टामि, ममं च णं पायरिय-उवज्झाया मिच्छं विष्पडिवण्णा। दश कारणों से क्रोध की उत्पत्ति होती है / जैसे१. उस-अमुक पुरुष ने मेरे मनोज्ञ शब्द स्पर्श, रस, रूप और गन्ध का अपहरण किया। 2 उस पुरुष ने मुझे अमनोज्ञ शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध प्राप्त कराए हैं। 3. वह पुरुष मेरे मनोज्ञ शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध का अपहरण करता है / 4. वह पुरुष मुझे अमनोज्ञ शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध को प्राप्त कराता है। 5. वह पुरुष मेरे मनोज्ञ शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध का अपहरण करेगा। 6. वह पुरुष मुझे अमनोज्ञ शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध प्राप्त कराएगा। 7. वह पुरुष मेरे मनोज्ञ शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध का अपहरण करता था, अपहरण ____ करता है और अपहरण करेगा। 8. उस पुरुष ने मुझे अमनोज्ञ शब्द, स्पर्श, रस, रूप, और गन्ध प्राप्त कराए हैं कराता है और कराएगा। 6. उस पुरुष ने मेरे मनोज्ञ तथा अमनोज्ञ शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध का अपहरण किया है, करता है और करेगा। तथा प्राप्त कराए हैं, कराता है और कराएगा। 10. मैं प्राचार्य और उपाध्याय के प्रति सम्यक् व्यवहार करता हूं, परन्तु प्राचार्य और उपाध्याय मेरे साथ प्रतिकूल व्यवहार करते हैं (7) / संयम-असंयम-सूत्र ८-दसविधे संजमे पण्णत्ते, तं जहा-पुढविकाइयसंजमे, (प्राउकाइयसंजमे, तेउकाइयसंजमे, वाउकाइयसंजमे), वणस्सतिकाइयसंजमे, बेइंदियसंजमे, तेइंदियसंजमे, चरिदियसंजमे, पंचिदियसंजमे, अजीवकायसंजमे। संयम दश प्रकार का कहा गया है। जैसे१. पृथ्वीकायिक-संयम, 2. अप्कायिक-संयम, 3. तेजस्कायिक-संयम, 4. वायुकायिक-संयम, 5. वनस्पति-कायिक-संयम, 6. द्वीन्द्रिय-संयम, 7. त्रीन्द्रिय-संयम, 8. चतुरिन्द्रिय-संयम, है. पंचेन्द्रिय-संयम, 10. अजीवकाय-संयम (8) / है-दसविधे असंजमें पण्णत्ते, तं जहा-पुढविकाइयनसंजमे, प्राउकाइयग्रसंजमे, तेउकाइयअसंजमे, वाउकाइयप्रसंजमे, वणस्सतिकाइयप्रसंजमे, (बेइंदियअसंजमे. तेइंदिय प्रसंजमे, चरिदियअसंजमे, पंचिदियप्रसंजमे), अजीवकायप्रसंजमें। असंयम दश प्रकार का कहा गया है / जैसे१. पृथ्वीकायिक-असंयम, 2. अप्कायिक-असंयम, 3. तेजस्कायिक-असंयम, 4. वायुकायिकअसंयम, 5. वनस्पतिकायिक-असंयम, 6. द्वीन्द्रिय-असंयम, 7. त्रीन्द्रिय-असंयम, 8. चतुरिन्द्रिय-असंयम, 6. पंचेन्द्रिय-असंयम, 10. अजीवकाय-असंयम (8) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy