________________ नवम स्थान ] [ 675 1. सिद्धायतन कूट, 2. कच्छ कूट, 3. खण्डकप्रपातगुहा कूट, 4. माणिभद्र कूट, 5. वैताढ्य कूट, 6. पूर्णभद्र कूट, 7. तमिस्रगुफा कूट, 8. कच्छ कूट, 6. वैश्रमण कूट (47) / ४८-जंबुद्दीवे दीवे सुकच्छे दोहवेयड्ढे णव कडा पण्णता, तं जहा सिद्ध सुकच्छे खंडग, माणी वेयड्ढ पुण्ण तिमिसगुहा / ___ सुकच्छे वेसमणे या, : सुकच्छे कूडाण गामाई // 1 // जम्बूद्वीप नामक द्वीप में सुकच्छवर्ती दीर्घ वैताढ्य पर्वत के ऊपर नौ कूट कहे गये हैं / जैसे 1. सिद्धायतन कूट, 2. सुकच्छ कूट, 3. खण्डकप्रपातगुफा कूट, 4. माणिभद्र कूट, 5. वैताढ्य कूट, 6. पूर्णभद्र कूट, 7. तमिस्रगुफाकूट, 8. सुकच्छ कूट, 6. वैश्रमण कूट (48) / ४६-एवं जाव पोक्खलावइम्मि दोहवेयड्ढे / इसी प्रकार महाकच्छ, कच्छकावती, आवर्त, मंगलावर्त, पुष्कल और पुष्कलावती विजय में विद्यमान दीर्घ वैताढ्यों के ऊपर नौ नौ कूट जानना चाहिए (46) 1 ५०-एवं वच्छे दोहवेयड्ढे / इसी प्रकार वत्स विजय में विद्यमान दीर्घ वैताढ्य पर नौ कूट कहे गये हैं (50) / ५१-एवं जाव मंगलावतिम्मि दोहवेयड्ढे / इसी प्रकार सुवत्स, महावत्स, वत्सकावती, रम्य, रम्यक, रमणीय और मंगलावती विजयों में विद्यमान दीर्घ वैताढयों के ऊपर नौ नौ कूट जानना चाहिए (51) / ५२–जंबुद्दीवे दीवे विज्जुप्पभे वक्खारपन्वते णव कूडा पण्णत्ता, तं जहा सिद्ध अविज्जुणामे, देवकुरा पम्ह कणग सोवत्थी। सीप्रोदा य सयजले, हरिकूडे चेव बोद्धब्वे // 1 // जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के विद्य त्प्रभ वक्षस्कार पर्वत के ऊपर नौ कूट कहे गये हैं। जैसे 1. सिद्धायतनकूट, 2. विद्य त्प्रभकूट, 3. देवकुराकूट, 4. पक्ष्मकूट, 5. कनककूट, 6. स्वस्तिककूट, 7. सीतोदाकूट, 8. शतज्वलकूट, 6. हरिकूट (52) / ५३---जंबुद्दोवे दोवे पम्हे दोहवेयड्ढे णव कूडा पण्णता, तं जहा सिद्ध पम्हे खंडग, माणी वेयड्ढ (पुण्ण तिमिसगुहा / पम्हे वेसमणे या, पम्हे कूडाण णामाई) // 1 // जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पद्मवर्ती दीर्घ वैताढय के ऊपर नौ कूट कहे गये हैं। जैसे 1. सिद्धायतनकूट, 2. पक्ष्मकूट, 3. खण्डकप्रतापगुफाकूट, 4. माणिभद्रकूट, 5. वैताढयकूट, 6. पूर्णभद्रकूट, 7. तमिस्रगुफाकुट, 8. पक्ष्मकूट, 6. वैश्रमणकूट (53) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org