________________ 650 ] [ स्थानाङ्गसूत्र 1. नन्दोत्तरा, 2. नन्दा, 3. आनन्दा, 4. नन्दिवर्धना, 5. विजया, 6. वैजयन्ती, 7. जयन्ती, 8. अपराजिता (65) ६६-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं रुयगवरे पन्वते अट्ठ कूडा पण्णता, त जहा कणए कंचणे पउमे, पलिणे ससि दिवायरे चेव / वेसमणे बेरुलिए, रुयगस्स उ दाहिणे कूडा // 1 // तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियानो महिड्डियानो जाव पलिओवमद्वितीयानो परिवसंति, समाहारा सुप्पतिण्णा, सुप्पबुद्धा जसोहरा। लच्छिवती सेसवती, चित्तगुत्ता वसुधरा // 2 // जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में रुचकवर पर्वत के ऊपर आठ कूट कहे गये हैं / जैसे 1. कनक कूट, 2. कांचन कूट, 3. पद्म कूट, 4. नलिन कूट, 5. शशी कूट, 5. दिवाकर कूट, 7. वैश्रमण कूट, 8. वैडूर्य कूट (66) / वहां महाऋद्धिवाली यावत् एक पल्योपम की स्थितिवाली पाठ दिशाकुमारी महत्तरिकाएं रहती हैं / जैसे 1. समाहारा, 2. सुप्रतिज्ञा, 3. सुप्रबुद्धा, 4. यशोधरा, 5. लक्ष्मीवती, 6. शेषवती, 7. चित्रगुप्ता, 8. वसुन्धरा / ६७–जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स पच्चत्थिमे णं रुयगवरे पन्वते अट्ठ कूडा पण्णता, त जहा सोत्थिते य अमोहे य, हिमवं मंदरे तहा। रुपगे रुयगुत्तमे चंदे, अट्टमे य सुदंसणे // 1 // तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियानो महिड्डियाओ जाव पलिग्रोवमद्वितीयानो परिवसंति, तं जहा इलादेवी सुरादेवी, पुढवी पउमावती। एगणासा णवमिया, सीता भद्दा य अट्ठमा // 2 // जम्बू द्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में रुचकवर पर्वत के ऊपर आठ कूट कहे गये हैं / जैसे-- 1. स्वस्तिक कूट, 2. अमोह कूट, 3. हिमवान् कूट, 4. मन्दर कूट, 5. रुचक कूट, 6. रुचकोत्तम कुट, 7. चन्द्र कुट, 8. सुदर्शन कट (67) / वहां ऋद्धिवाली यावत् एक पल्योपम की स्थितिवाली आठ दिशाकुमारी महत्तरिकाएं रहती हैं / जैसे 1. इलादेवी, 2. सुरादेवी, 3. पृथ्वी, 4. पद्मावती, 5. एकनासा, 6. नवमिका, 7. सीता, 8. भद्रा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org