________________ अष्टम स्थान ] [646 कूट-सूत्र ६३–जंबुद्दोवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं महाहिमवंते वासहरपवते अट्ठ कूडा पण्णता, तं जहासंग्रहणी-गाया सिद्ध महाहिमवंते, हिमवंते रोहिता हिरीकूडे / हरिकंता हरिवासे, वेरुलिए चेब कूडा उ॥१॥ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में महाहिमवान् वर्षधर पर्वत के ऊपर पाठ कूट कहे गये हैं जैसे-- 1. सिद्ध कूट, 2. महाहिमवान् कूट, 3. हिमवान् कूट, 4. रोहित कूट, 5. ही कूट, 6. हरिकान्त कूट, 7. हरिवर्ष कूट, 8. वैडूर्य कूट (63) / / ९४----जंबुद्दीवे दोवे मंदरस्स पब्वयस्स उत्तरे णं रुप्पिमि वासहरपन्वते अट्ठ कूटा पण्णत्तात जहा सिद्ध य रुप्पि रम्मग, णरकता बुद्धि रुप्पकूडे य / हिरण्णवते मणिकंचणे, य रुप्पिम्मि कूडा उ॥१॥ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर में रुक्मी वर्षधर पर्वत पर आठ कूट कहे गये हैं। जैसे 1. सिद्ध कूट, 2. रुक्मी कूट, 3. रम्यक कूट, 4. नरकान्त कूट, 5. बुद्धि कूट, 6. रूप्य कूट, 7. हैरण्यवत कूट, 8. मणिकांचन कूट (64) / ६५–जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स पुरस्थिमे णं रुयगवरे पन्वते अट्ठ कूडा पण्णता, त जहा रिट्ट तवणिज्ज कंचण, रयत दिसासोस्थिते पलंबे य। अंजणे अंजणपुलए, स्यगस्स पुरथिमे कूडा // 1 // ___ तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियानो महिड्डियानो जाव पलिश्रोवमद्वितीयानो परिवसंति, तं जहा णंदूत्तरा य णंदा, प्राणंदा णंदिवद्धणा। विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिया // 2 // जम्बू द्वीप नामक द्वीप के मन्दर पर्वत के पूर्व में रुचकवर पर्वत के ऊपर पाठ कूट कहे गये हैं / जैसे 1. रिष्ट कूट, 2. तपनीय कूट, 3. कांचन कूट, 4. रजत कूट, 5, दिशास्वस्तिक कूट, 6. प्रलम्ब कूट, 7. अंजन कूट, 8. अंजन पुलक कूट (65) / वहाँ महाऋद्धिवाली यावत् एक पल्योपम की स्थितिवाली आठ दिशाकुमारी महत्तरिकाएं रहती हैं। जैसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org