________________ 646 ] [ स्थानाङ्गसूत्र ७५-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चरिथमे णं सीसोदाए महाणदीए दाहिणे णं अट्ठ रायहाणीग्रो पण्णत्ताओ, तं जहा–पासपुरा, (सीहपुरा, महापुरा, विजयपुरा, अवराजिता, प्रवरा, असोया), वीतसोगा। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में आठ राजधानियां कही गई हैं। जैसे 1. अश्वपुरी, 2. सिंहपुरी, 3. महापुरी, 5. विजयपुरी, 5. अपराजिता, 6. अपरा, 7. अशोका 8. वीतशोका (75) / ७६-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पन्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीतोयाए महाणईए उत्तरे णं अट्ठ रायहाणीयो पण्णत्तायो, तं जहा--विजया, वेजयंती, (जयंती, अपराजिया, चक्कपुरा, खरंगपुरा, अवज्झा), अउज्झा। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के उत्तर में पाठ राजधानियां कही गई हैं। जैसे 1. विजया, 2. वैजयन्ती, 3. जयन्ती, 4. अपराजिता, 5. चक्रपुरी, 6. खड्गपुरी, 7. अवध्या 8, अयोध्या (76) / ७७--जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महाणदीए उत्तरे णं उक्कोसपए अट्ठ अरहंता, अट्ट चक्कवट्टी, अट्ठ बलदेवा, अट्ठ वासुदेवा उपज्जिसु वा उप्पज्जंति वा उप्पज्जिस्संति वा। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के उत्तर में उत्कृष्टतः पाठ अर्हत् (तीर्थकर), आठ चक्रवर्ती, आठ बलदेव और आठ वासुदेव उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (77) / ७८-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं सीताए [महाणदीए ?] दाहिणे णं उक्कोसपए एवं चेव। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में उत्कृष्टतः इसी प्रकार आठ अर्हत्, आठ चक्रवर्ती, पाठ बलदेव और पाठ वासुदेव उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (78) / ___७६-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चरिथमे णं सोप्रोयाए महाणदीए दाहिणे णं उक्कोसपए एवं चेव। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में उत्कृष्टत: इसी प्रकार पाठ अर्हत्, आठ चक्रवर्ती, आठ बलदेव और आठ वासुदेव उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (76) / ८०-एवं उत्तरेणवि। जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के उत्तर में उत्कृष्टत: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org