________________ 644 ] [ स्थानाङ्गसूत्र सुदर्शन जम्बू वृक्ष पाठ योजन ऊंचा, बहुमध्यदेश भाग में पाठ योजन चौड़ा और सर्व परिमाण में कुछ अधिक आठ योजन कहा गया है (63) / ६४---कूडसामली णं अट्ट जोयणाई एवं चेव / कूट शाल्मली वृक्ष भी पूर्वोक्त प्रमाण वाला जानना चाहिए (64) / ६५--तिमिसगुहा णं अट्ठ जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं / तमिस्र गुफा पाठ योजन ऊंची है (65) / ६६-खंडप्पवातगुहा णं अट्ठ (जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं)। खण्डप्रपात गुफा आठ योजन ऊंची है (66) / ६७--जंबद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महाणदीए उभतो कूले अट्ठ वक्खारपव्वया पण्णत्ता, त जहा—चित्तकूडे, पम्हकूडे, णलिणकूडे, एगसेले, तिकूडे, वेसमणकूडे, अंजणे, मायंजणे। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में सीता महानदी के दोनों कूलों पर पाठ वक्षस्कार पर्वत हैं / जैसे 1. चित्रकूट, 2. पक्ष्मकूट, 3. नलिनकूट, 4. एकशैल, 5. त्रिकूट, 6. वैश्रमणकूट 7. अंजनकूट, 8. मातांजनकूट (67) / ६८-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चस्थिमेणं सीतोयाए महाणदीए उभतो कूले अट्ठ वक्खारपब्वता पण्णत्ता, तं जहा-अंकावती, पम्हावती, प्रासोविसे, सुहाबहे, चंदपव्वते, सूरपन्वते, णागपन्वते, देवपन्वते / जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दोनों कूलों पर पाठ वक्षस्कार पर्वत हैं / जैसे-- 1. अंकापाती, 2. पक्ष्मावती, 3. प्राशीविष, 4. सुखावह, 5. चन्द्रपर्वत, 6. सूरपर्वत 7. नाग पर्वत, 8. देव पर्वत (68) / ६६-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पन्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महाणदीए उत्तरे णं अट्ठ चक्कट्टिविजया पण्णता, तं जहा--कच्छे, सुकच्छे, महाकच्छे, कच्छगावती, पावत्ते, (मंगलावत्ते, पुवखले), पुक्खलावती। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के उत्तर में चक्रवर्ती के आठ विजय-क्षेत्र कहे गये हैं / जैसे 1. कच्छ, 2, सुकच्छ, 3. महाकच्छ, 4. कच्छकावती, 5. पावर्त, 6. मंगलावर्त, 7. पुष्कल, 8. पुष्कलावती (66) / ७०-जंबुद्दीवे दीवे मदरस्स पब्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महाणदीए दाहिणे णं अट्ठ चक्कवट्टिविजया पण्णत्ता, तं जहा-~-वच्छे, सुवच्छे, (महावच्छे, वच्छगावती, रम्मे, रम्मगे, रमणिज्जे), मंगलावती। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org