________________ सप्तम स्थान ] [603 RE-सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं उक्कोसेणं सत्त पलिप्रोवमाई ठिती पण्णता। सौधर्म कल्प में परिगृहीता देवियों की उत्कृष्ट स्थिति सात पल्योपम कही गई है (66) / १००-सारस्सयमाइच्चाणं [देवाणं ?] सत्त देवा सत्तदेवसता पण्णत्ता। सारस्वत और आदित्य लौकान्तिक देव स्वामीरूप में सात हैं और उनके सात सौ देवों का परिवार कहा गया है (100) / १०१-गद्दतोयतुसियाणं देवाणं सत्त देवा सत्त देवसहस्सा पण्णता। गर्दतोय और तुषित लौकान्तिक देव स्वामीरूप में सात हैं और उनके सात हजार देवों का परिवार कहा गया है (101) / १०२–सणंकुमारे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं सत्त सागरोवमाई ठिती पण्णता। सनत्कुमार कल्प में देवों की उत्कृष्ट स्थिति सात सागरोपम कही गई है (102) / १०३–माहिदे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं सातिरेगाई सत्त सागरोवमाई ठिती पण्णता / माहेन्द्र कल्प में देवों की उत्कृष्ट स्थिति कुछ अधिक सात सागरोपम कही गई है (103) / १०४–बंमलोगे कप्पे जहणेणं देवाणं सत्त सागरोवमाई ठिती पण्णता। ब्रह्मलोक कल्प में देवों की जघन्य स्थिति सात सागरोपम कही गई है (104) / १०५–बंभलोय-लंतएसु णं कप्पेसु विमाणा सत्त जोयणसताई उड्ड उच्चत्तेणं पण्णत्ता। ब्रह्मलोक और लान्तक कल्प में विमानों की ऊंचाई सात सौ योजन कही गई है (105) / १०६–भवणवासोणं देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उक्कोसेणं सत्त रयणीप्रो उड्डे उच्चत्तेणं पण्णत्ता। भवनवासी देवों के भवधारणीय शरीरों की उत्कृष्ट ऊंचाई सात हाथ कही गई है (106) / १०७-(वाणमंतराणं देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उक्कोसेणं सत्त रयणीयो उड्द उच्चत्तेणं पण्णत्ता। वाण-व्यन्तर देवों के भवधारणीय शरीरों की उत्कृष्ट ऊंचाई सात हाथ कही गई है (107) / १०८-जोइसियाणं देवाणं भवधारणिज्जा सरोरगा उक्कोसेणं सत्त रयणीयो उड्ड उच्चत्तेणं पण्णत्ता। ज्योतिष्क देवों के भवधारणीय शरीरों की उत्कृष्ट ऊंचाई सात रत्नि-हाथ कही गई है (108) / ___106- सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उक्कोसेणं सत्त रयणीयो उड्ड उच्चत्तेणं पण्णत्ता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org