________________ 554 ] [ स्थानाङ्गसूत्र त्रीन्द्रिय जीवों का धात न करने वाले पुरुष को छह प्रकार का संयम प्राप्त होता है / जैसे१. घ्राण-जनित सुख का वियोग नहीं करने से। 2. घ्राण-जनित-दुःख का संयोग नहीं करने से / 3. रस-जनित सुख का वियोग नहीं करने से / 4. रस-जनित दुःख का संयोग नहीं करने से / 5. स्पर्श-जनित सुख का वियोग नहीं करने से / स्पर्श-जनित दुःख का संयोग नहीं करने से (81) / 82 तेइंदिया णं जीवा समारभमाणस्स छविहे असंजमे कज्जति, तं जहा-धाणामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति / घाणामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति / (जिन्भामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति। जिन्भामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति / फासामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति) फासामएणं दुषखेणं संजोगेत्ता भवति / त्रीन्द्रिय जीवों का घात करने वाले के छह प्रकार का असंयम होता है। जैसे१. घ्राण-जनित सुख का वियोग करने से / 2. घ्राण-जनित दु:ख का संयोग करने से / 3. रस-जनित दु:ख का वियोग करने से। 4. रस-जनित दु:ख का संयोग करने से / 5. स्पर्श-जनित सुख का वियोग करने से / 6. स्पर्श-जनित दु:ख का संयोग करने से (82) / क्षेत्र-पर्वत-सूत्र ८३--जंबुद्दीवे दीवे छ अकम्मभूमीग्रो पण्णत्तानो, तं जहा--हेमवते, हेरण्णवते, हरिवासे, रम्मगवासे, देवकुरा, उत्तरकुरा। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में छह अकर्मभूमियां कही गई हैं। जैसे१. हैमवत, 2. हैरण्यवत, 3. हरिवर्ष, 4. रम्यकवर्ष, 5. देवकुरु, 6. उत्तरकुरु (83) / ८४--जंबुद्दीवे दीवे छब्बसा पण्णत्ता, तं जहा--भरहे, एरवते, हेमवते, हेरण्णवए, हरिवासे, रम्मगवासे। जम्बूद्वीपनामक द्वीप में छह वर्ष (क्षेत्र) कहे रये हैं। जैसे---- 1. भरत, 2. ऐरवत, 3. हैमवत, 4. हैरण्यवत, 5. हरिवर्ष, 6. रम्यकवर्ष (84) / ____८५-जंबुदीवे दीवे छ वासाहरपन्वता पण्णत्ता, तं जहा–चल्लाहिमवंते, महाहिमवंते, णिसढे, णीलवंते, रुप्पी, सिहरी। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में छह वर्षधर पर्वत कहे गये हैं। जैसे१. क्षुद्र हिमवान्, 2. महाहिमवान्, 3. निषध, 4. नीलवान्, 5. रुक्मी, 6. शिखरी (85) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org