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________________ षष्ठ स्थान [ 555 ८६-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं छ कूडा पण्णता, तं जहा-चुल्लहिमवंतकूडे, वेसमणकूडे, महाहिमवंतकूडे, वेरुलियकूडे, णिसढकूडे, रुयगकूडे / जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण भाग में छह कूट कहे गये हैं। जैसे१. क्षुद्र हिमवत्कूट, 2. वैश्रमण कूट, 3. महाहिमवत्कूट, 4. वैडूर्य कूट, 6. रुचककूट (86) / ८७–जंबुद्दोवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे थे छ कूडा पण्णता, तं जहा--णीलवंतकडे, उवदंसणकूडे, रुप्पिकूडे, मणिकंचणकूडे, सिहरिकुडे, तिगिछिकूडे / / जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर भाग में छह कूट कहे गये हैं। जैसे१. नीलबंतकूट, 2. उपदर्शनकुट, 3. रुक्मिकूट, 4. मणिकांचनकूट, 5. शिखरी कूट, 6. तिगिछिकूट (87) / महाद्रह-सत्र ८८-जंबुद्दीवे दीवे छ महद्दहा पण्णत्ता, तं जहा-पउमद्दहे, महापउमद्दहे, तिगिछिद्दहे, केसरिद्दहे, महापोंडरीयद्दहे, पुंडरीयद्दहे / तत्थ णं छ देवयानो महिड्ढियानो जाव पलिनोवमद्धितियानो परिवसंति, तं जहा–सिरी, हिरी, धितो, कित्ती, बुद्धी, लच्छी। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में छह महाद्रह कहे गये हैं / जैसे१. पद्मद्रह. 2. महापद्मद्रह, 3. तिगिञ्छिद्रह, 4. केशरी द्रह. 5. महापुण्डरीक द्रह, 6. पुण्डरीक द्रह (88) / उनमें महधिक, महाध ति, महाशक्ति, महायश, महाबल, महासुख वाली तथा पल्योपम की स्थिति वाली छह देवियाँ निवास करती हैं जैसे 1. श्री देवी, 2. ह्री देवी 3. धृति देवी, 4. कीर्ति देवी 5 बुद्धि देवी, 6. लक्ष्मी देवी। नदो-सूत्र ८६--जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं छ महाणदीनो पण्णत्तानो तं जहा-गंगा, सिंधू, रोहिया, रोहितंसा, हरी, हरिकता। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण भाग में छह महानदियाँ कही गई हैं। जैसे१. गंगा, 2. सिन्धु, 3. रोहिता, 4. रोहितांशा, 5. हरित, 6. हरिकान्ता (86) / ६०--जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे थे छ महाणदीपो पण्णत्तायो, तं जहाणरकता, णारिकता, सुवण्णकला, रुप्पकूला, रसा, रत्तवती। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर भाग में छह महानदियाँ कही गई हैं / जैसे१. नरकान्ता, नारीकान्ता, 3. सुवर्ण कूला, 4. रूप्य कूला, 5. रक्ता, 6. रक्तवती (60) / ११-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महाणदोए उभयकले छ अंतरणदीप्रो पण्णत्तायो, तं जहा-गाहावती, दहवती, पंकवतो, तत्तयला, मत्तयला, उम्मत्तयला। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003471
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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