________________ 208] [ स्थानाङ्गसूत्र 2. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र रूपवाला होता है। 3. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु रूपवाला होता है / 4. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक रूपवाला होता है (14) / १५-[चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-उज्ज णाममेगे उज्जुमणे, उज्ज णाममेगे वंकमणे, वंके णाममेगे उज्जुमणे, वंके णाममेगे वंकमणे / ] पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु मनवाला होता है / 2. कोई पुरूष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र मनवाला होता है / 3. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु मनवाला होता है। 4. कोई पुरुष शरीर से बक्र और वक्र मनवाला होता है (15) / १६-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-उज्जू णाममेगे उज्जुसंकप्पे, उज्ज णाममेगे वंकसंकप्पे, वंके णाममेगे उज्जुसंकप्पे, वंके णाममेगे वंकसंकप्पे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-- 1. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु संकल्पवाला होता है। 2. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र संकल्पवाला होता है। 3. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु संकल्पवाला होता है। 4. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र संकल्पवाला होता है (16) / १७-[चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा–उज्जू णाममेगे उज्जुपण्णे, उज्जू णाममेगे वंकपण्णे, बंके णाममेगे उज्जुपण्णे, वंके णाममेगे वंकपणे / ] पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु-प्रज्ञ (तीक्ष्णबुद्धि) वाला होता है। 2. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र प्रज्ञावाला होता है। 3. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु प्रज्ञावाला होता है। 4. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र प्रज्ञावाला होता है (17) / 18- [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-उज्जू णाममेगे उज्जुदिट्ठी, उज्ज णाममेगे वंकदिट्ठी, वंके णाममेगे उज्जुदिट्टी, वंके णाममेगे वंकदिट्ठी।] पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु दृष्टिवाला होता है। 2. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र दृष्टिवाला होता है / 3. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु दृष्टिवाला होता है। 4. कोई पुरुष शरीर से बक्र और वक्र दृष्टिवाला होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org