________________ तृतीय स्थान-द्वितीय उद्देश ] [137 णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २७२-तो पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-ण जुज्झिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण जुज्झिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण जुझिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति] / पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'युद्ध नहीं करके' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'युद्ध नहीं करके' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'युद्ध नहीं करके' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (270) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'युद्ध नहीं करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'युद्ध नहीं करता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'युद्ध नहीं करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (271) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'युद्ध नहीं करूंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'युद्ध नहीं करूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'युद्ध नहीं करूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (272) 1] 273 - [तम्रो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जइत्ता णामेगे सुमणे भवति, जइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, जइत्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / 274- तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहाजिणामोतेगे सुमणे भवति, जिणामीतेगे दुम्मणे भवति, जिणामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २७५–तम्रो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा -- जिणिस्सामीतेगे सुमणे भवति, जिणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, जिणिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'जीत कर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'जीतकर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'जीत कर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (273) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'जीतता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'जीतता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'जीतता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (274) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'जीतू गा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'जीतू गा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'जीतू गा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (275) / 276 - [तो पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-अजइत्ता णामेगे सुमणे भवति, अजइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अजइत्ता णामेंगे जोसुमणे-णोदम्मणे भवति। २७७-तग्रो पूरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—ण जिणामीतेगे सुमणे भवति, ण जिणामीतेगे दुम्मणे भवति, ण जिणामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २७८-तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–ण जिणिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण जिणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण जिणिस्सामीतेगे णोसुमणे णोदुम्मणे भवति / पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष नहीं जीत कर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं जीत कर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं जीत कर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (276) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष नहीं जीतता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं जीतता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'नहीं जीतता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (277) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं...--कोई पुरुष नहीं जीतू गा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं जीतूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं जीतू गा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (278) / ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org