________________ 138 ] [ स्थानाङ्गसूत्र 276 - [तमो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा~-पराजिणित्ता णामेंगे सुमणे भवति, पराजिणिसा णामेंगे दुम्मणे भवति, पराजिणित्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / 280- तओ पुरिसजाया पष्णता, त जहा—पराजिणामीतेगे सुमणे भवति, पराजिणामीतेगे दुम्मणे भवति, पराजिणामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / 281- तन्नो चुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा---पराजिणिस्सामीतेगे सुमणे भवति, पराजिणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, पराजिणिस्सामीतेगे जोसुमणे-गोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष (किसी को) 'पराजित करके' सुमनस्क होता है / कोई पुरुष ‘पराजित करके दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'पराजित करके' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (276) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये है-कोई पुरुष 'पराजित करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'पराजित करता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है और कोई पुरुष 'पराजित करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (280) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'पराजित करूगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'पराजित करूगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'पराजित करूगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (281) / / 282-- [तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-अपराजिणित्ता णामेगे सुमणे भवति, अपराजिणित्ता णामेगे दुम्म भवति, अपराजिणित्ता णामेमे गोसुमणे-गोदुम्मणे भवति / २८३-तओ पुरिसजया पणत्ता, तं जहा-- पराजिणामीतेगे सुखणे भवति, ण पराजिणामीतेगे दुम्मणे भवति, ण पराजिणामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / 284- तमो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा–ण पराजिणिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण पराजिणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण पराजिणिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'पराजित नहीं करके' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'पराजित नहीं करके' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'पराजित नहीं करके' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (282) / पुन: पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'पराजित नहीं करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'पराजित नहीं करता हूं' इसलिए दुर्भनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'पराजित नहीं करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (283) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'पराजित नहीं करूगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'पराजित नहीं करूंगा' इसलिए दुर्म नस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'पराजित नहीं करूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्म नस्क होता है (284) / 285 --[तो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा--सई सुणेत्ता णामेगे सुमणे भवति, सई सुणेत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, सई सुणेत्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २८६--तम्रो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--सदं सुणामीतेगे सुमणे भवति, सदं सुणामीतेगे दुम्मणे भवति, सह सुणामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / 287-- तो पुरिसजाया पणत्ता, तं जहा-सई सुणिस्सामीतेगे समणे भवति, सदं सुणिस्सामोतेगे दुम्मणे भवति, सह सुणिम्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'शब्द सुन करके' सुमनस्क होता है / कोई पुरुष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org