________________ 136 ] [ स्थानाङ्गसूत्र 'सोता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'सोता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (262) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'सोऊंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'सोऊंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'सोऊंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (263) / 264 - [तो पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-असुइत्ता णामेगे सुमणे भवति, असुइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, असुइत्ता णाभेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २६५--तम्रो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहाण सुआमीतेगे सुमणे भवति, ण सुसामीतेगे दुम्मणे भवति, ण सुप्रामोतेगे गोसुमणे-णोदुमम्णे भवति / २६६--तो पुरिसजाया पण्णता, तं जहाण सुइस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण सुइस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण सुइस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / / पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कुछ पुरुष 'न सोने पर' सुमनस्क होते हैं। कुछ पुरुष 'न सोने पर' दुर्मनस्क होते हैं। तथा कुछ पुरुष 'न सोने पर' न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं (264) / पुन: पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष नहीं सोता हूँ इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं सोता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं सोता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (265) पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैंकोई पुरुष नहीं सोऊंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं सोऊंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष नहीं सोऊंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (266) / 267 --[तमो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जुज्झित्ता णामेगे सुमणे भवति, जुज्झित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, जुज्झित्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २६८-तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–जुज्झामीतेगे सुमणे भवति, जुज्झामीतेगे दुम्मणे भवति, जुज्झामीतेगे जोसुमणेणोदुम्मणे भवति / २६६--तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जुझिस्सामीतेगे सुमणे भवति, जुझिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, जुज्झिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'युद्ध करके' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'युद्ध करके' दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'युद्ध करके' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (267) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'युद्ध करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'युद्ध करता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'युद्ध करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क हता है (268) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'युद्ध करूगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'युद्ध करूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'युद्ध करूगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (266) / २७०-[तओ पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-अजुज्झित्ता णामेगे सुमणे भवति, अजुज्झित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अजुज्झित्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / 271- तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहाण जुज्झमीतेगे सुमणे भवति, ण जुज्झामीतेगे दुम्मणे भवति, ण जुज्झामोतेगे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org