________________ तृतीय स्थान---प्रथम उद्देश | [ 115 तीर्थ-सूत्र १०५-जंबुद्दीवे दोवे भारहे वासे तो तित्था पण्णत्ता, तजहा-मागहे, बरदामे, पभासे / १०६–एवं एरवएवि / १०७---जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे एगमेगे चक्कवट्टिविजये तो तित्था पण्णत्ता, त जहा-मागहे, वरदामे, पभासे / १०८--एवं-धायइसंडे दोवे पुरथिमद्ध वि पच्चत्थिमद्ध वि / पुक्खरवरदोवद्ध पुरस्थिमद्ध वि, पच्चत्थिमवि। जम्बूद्वीपनामक द्वीप के भारतवर्ष में तीन तीर्थ कहे गये हैं—मागध, वरदाम और प्रभास (105) / इसी प्रकार ऐरवत क्षेत्र में भी तीन तीर्थ कहे गये हैं (106) / जम्बुद्वीपनामक द्वीप के महाविदेह क्षेत्र में एक-एक चक्रवर्ती के विजयखण्ड में तीन-तीन तीर्थ कहे गये हैं-मागध, वरदाम और प्रभास (107) / इसी प्रकार धातकीखण्ड तथा पुष्करार्ध द्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी तीन-तीन तीर्थ जानना चाहिए (108) / कालचक्र-सूत्र 106 -जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तोताए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए तिण्णि सागरोवमकोडाकोडीअो काले होत्था। ११०-एवं नोसप्पिणीए नवरं पण्णत्ते [जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु इमोसे प्रोसप्पिणीए सुसमाए समाए तिणि सागरोवमकोडाकोडीनो काले पण्णत्ते / १११-जंबुद्दीवे दोवे भरहेरवएस वासेस मागमिस्साए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए तिण्णि सागरोवमकोडाकोडीयो काले भविस्सति / ११२-एवं-धायइसंडे पुरस्थिमद्ध पच्चस्थिम वि / एवंपुक्खरवरदीवद्ध पुरस्थिम पच्चत्थिमद्धवि कालो भाणियव्यो। जम्बूद्वीपनामक द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में अतीत उत्सर्पिणी के सुषमा नामक पारे का काल तीन कोडाकोडी सागरोपम था (106) / जम्बूद्वीपनामक द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र। में वर्तमान अवसर्पिणी के सुषमा नामक पारे का काल तीन कोडाकोडी सागरोपम कहा गया है (110) / जम्बूद्वीपनामक द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में आगामी उत्सपिणी के सुषमा नामक आरे का काल तीन कोडाकोडी सागरोपम होगा (111) / इसी प्रकार धातकीखण्ड के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी और इसी प्रकार पुष्करवरद्वीपार्ध के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी काल कहना चाहिए (112) / 113 - जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए मणुया तिण्णि गाउयाई उद्धं उच्चत्तेणं होत्था, तिणि पलिग्रोवमाई परमाउं पालइत्था। ११४-एवं-- इमोसे प्रोसप्पिणीए, प्रागमिस्साए उस्सप्पिणीए। 115 - जंबुद्दीवे दीवे देवकुरुउत्तरकुरासु मणुया तिण्णि गाउप्राइं उड्डे उच्चत्तेणं पण्णत्ता, तिण्णि पलिअोवमाई परमाउं पालयंति / ११६–एवं जाव पुक्खरवरदीवद्धपच्चस्थिमद्ध / जम्बूद्वीपनामक द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में अतीत उत्सर्पिणी के सुषमसुषमा नामक बारे में मनुष्य की ऊंचाई तोन गव्यूति (कोश) की थी और उत्कृष्ट प्रायु तीन पल्योपम की थी (113) / इसी प्रकार इस वर्तमान अवपिणी तथा आगामी उत्सपिणी में भी ऐसा ही जानना चाहिए (114) / जम्बूद्वीपनामक द्वीप के देवकुरु और उत्तरकुरु में मनुष्यों की ऊंचाई तीन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org