________________ द्वितीय स्थान तृतीय उद्देश शब्द-पद २१२–दुविहे सद्दे पण्णत्ते, तजहा–भासासद्दे चव, गोभासासद्दे चव / २१३--भासासद्दे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–अक्खरसंबद्ध चव, णोअक्खरसंबद्ध चेव / २१४--णोभासासद्दे दुविहे पण्णत्ते, त जहा–पाउज्जसद्दे चेव, गोआउज्जसद्दे चेव / २१५–आउज्जसद्दे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-तते चव, वितते चेव / २१६--तते दुविहे पण्णत्ते, त जहा-घणे चव, सुसिरे चेव / २१७–वितते दुविहे पण्णत्ते, त जहा- घणे चे व, सुसिरे चव / २१५–णोप्राउज्जसद्दे दविहे पण्णत्ते, तं जहा.-भूसणसद्दे च व, णोभूसणसद्दे चव। २१६--णोभूसणसद्दे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-तालसद्दे चव, लत्तियासट्टे चेव / २२०–दोहि ठाणेहि सदुप्पाते सिया, तजहा साहण्णताणं चव पोग्गलाणं सदुप्पाए सिया, भिज्जंताणं चेव पोग्गलाणं सदुप्पाए सिया। शब्द दो प्रकार का कहा गया है--भाषा शब्द और नोभाषाशब्द (212) भाषा शब्द दो प्रकार का कहा गया है-अक्षर-संबद्ध (वर्णात्मक) और नो-अक्षर-संबद्ध (213) / नोभाषाशब्द दो प्रकार का कहा गया है—ातोद्य-बादित्र-शब्द और नोातोद्य शब्द (214) / अातोद्य शब्द दो प्रकार का कहा गया है-तत और वितत (215) / तत शब्द दो प्रकार का कहा गया है-घन और शुषिर (216) / वितत शब्द दो प्रकार का कहा गया है—घन और शुषिर (217) / नोआतोद्य शब्द दो प्रकार का कहा गया है-भूषण शब्द और नो-भूषण शब्द (218) / नोभूषण शब्द दो प्रकार का है, ताल शब्द और लत्तिका शब्द (216) / दो स्थानों (कारणों) से शब्द की उत्पत्ति होती हैसंघात को प्राप्त होते हुए पुद्गलों से शब्द की उत्पत्ति होती है और भेद को प्राप्त होते हुए पुद्गलों से शब्द की उत्पत्ति होती है (220) / विवेचन-उक्त सूत्रों से कहे गये पदों का अर्थ इस प्रकार है / भाषा शब्द-जीव के वचनयोग से प्रकट होने वाला शब्द / नोभाषाशब्द-वचनयोग से भिन्न पुद्गल के द्वारा प्रकट होने वाला शब्द / अक्षर-संबद्ध शब्द-प्रकार-ककार आदि वर्गों के द्वारा प्रकट होने वाला शब्द / नो अक्षर-संबद्ध शब्द-अनक्षरात्मक शब्द / अातोद्यशब्द-नगाड़े आदि बाजों का शब्द / नोपातोद्य शब्द--बांस आदि के फटने से होने वाला शब्द / ततशब्द-तार-वाले वीणा, सारंगी आदि बाजों का शब्द / वितत शब्द-तार-रहित बाजों का शब्द / ततघनशब्द-झांझ-मंजीरा जैसे बाजों का शब्द / तत शुषिर शब्द-वीणा-सारंगी आदि का मधुर शब्द / वितत घन-शब्द-भाणक बाजे का शब्द / वितत शुषिर शब्द-नगाड़े ढोल आदि का शब्द / भूषण शब्द-नपुर-विछुड़ी आदि आभूषणों का शब्द / नोभूषण शब्द-वस्त्र आदि के फटकारने से होने वाला शब्द / ताल शब्द-हाथ की ताली बजाने से होने वाला शब्द / लत्तिका शब्द-कांसे का शब्द-अथवा पाद-प्रहार से होने वाला शब्द / अनेक पुदगलस्कन्धों के संघात होने-परस्पर मिलने से भी शब्द की उत्पत्ति होती है, जैसे घड़ी, मशीन आदि के चलने से / तथा भेद से भी शब्द की उत्पत्ति होती है, जैसे-वांस, वस्त्र आदि के फटने से / For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org