________________ आचारांग सूत्र-द्वितीय श्रुतस्कन्ध शिविकारोहण 755. सोया' उवणीया जिणवरस्स जर-मरणविप्पमुक्कस्स / ओसत्तमल्लदामा जल-थलदिव्यकुसुमेहिं // 117 // 756. सिबियाए मज्झयारे दिव्वं वररयणरूबचेंचइयं / सोहासणं महरिहं सपादपीठं जिणवरस्स / / 118 // 757. आलइयमालमउडो भासुरबोंदी वराभरणधारी। खोमयवत्थणियत्थो जस्स य मोल्लं सयसहस्सं // 11 // 758. छ?ण भत्तेणं अज्झवसाणेण सुंदरेण जिणो। लेस्साहि विसुज्झंतो आरुहई उत्तमं सीयं // 120 // 756. सीहासणे णिविट्ठो सक्कीसाणा य दोहिं पासेहि / वीयंति चामराहिं मणि-रयणविचित्तदंडाहिं // 121 // प्रब्रज्यार्थ प्रस्थान 760. पुदिव उक्खिता माणुसेहि साहटुरोमकूवेहि / पच्छा वहति देवा सुर-असुरा गरुल-णागिंदा / / 122 // 761. पुरतो सुरा वहंती असुरा पुण दाहिणम्मि पासम्मि। अवरे वहति गरुला णागा पुण उत्तरे पासे // 123 // 762. वणसंडं व कुसुमियं पउमसरो वा जहा सरयकाले / सोभति कुसुमभरेणं इय गगणतलं सुरगणेहिं // 124 // 763. सिद्धत्थवणं व जहा कणियारवणं व चंपगवणं वा / सोभति कुसुमभरेणं इय गगणतलं सुरगणेहिं // 125 / / 764. वरपडह-भेरि-झल्लरि-संखसतसहस्सिएहि तूरेहि। गगणयले धरणितले तूरणिणाओ परमरम्मो // 126 // 1. तुलना कीजिए चन्दप्पभा य सीया उवणीया जम्ममरणमुक्कस्स। आसत्तमल्लदामा जल थलयं दिव्य कुसुमेहि / / 2 / -'आवश्यकभाष्य गाथा (62 से 104 तक देखिए) 'ओसत्तमल्लदामा' के बदले पाठान्तर हैं-उसंतमल्लदाम' उवसंतमल्लदाम। 3. 'भासरबोंदी' भी पाठान्तर मिलता है किंतु -भासुरबोंदी पाठ यत्र-तत्र आगमों में अधिक प्रचलित है। 'छठेणं भतणं' के बदले पाठान्तर है-'छठेण उ भत्तणं' / 5. 'साहट्ठरोमकूहि' के बदले पाठान्तर हैं--साहट्ठरोमपुलएहि, साहटुरोमकूवेहि / पहला पाठ अधिक संगत लगता है। 6. 'तूरणिणाओं' के बदले पाठान्तर है—"तुडियणिणादो, तुरियनिनाओ।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org