________________ सप्तम अध्ययन : द्वितीय उद्देशक: सूत्र 633-34 अवग्रह-ग्रहण में सप्त-प्रतिमा 633. से भिक्खू वा 2 आगंतारेसु वा 4 जावोग्गहियंसि' जे तत्थ गाहावतीण वा गाहावतिपुत्ताण वा इच्चेयाइं आयतणाई उवातिकम्म अह भिक्खू जाणेज्जा इमाहि सत्तहिं पडि - माहिं उग्गह ओगिहित्तए |1] तत्थ खलु इमा पढमा पढिमा--से आगंतारेसु वा' 4 अणुवीयि उग्गह जाएज्जा जाव विहरिस्सामो। पढमा पडिमा। [2] अहावरा दोच्चा पडिमा–जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवति 'अहं च खलु अण्णेसि भिक्खूणं अट्ठाए उम्गह ओगिहिस्सामि, अण्णेसि भिक्खूणं उग्गह उग्गहिते उल्लिस्सामि / दोच्चा पडिमा। 3j अहावरा तच्चा पडिमा-जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवति-'अहं च खलु अण्णेसि भिक्खूणं अट्ठाए उग्गह ओगिहिस्सामि, असि च उग्गहें उग्गहिते णो उल्लिस्सामि'। तच्चा पडिमा। [4] अहावरा चउत्था पडिमा-जस्स गं भिक्खुस्स एवं भवति-'अहं च खलु अण्णेसि भिक्खूणं अट्ठाए उग्गहणो ओगिहिस्सामि, अण्णेसि च उग्गह उग्गाहते उवल्लिस्सामि'। चउत्था पडिमा। [5] अहावरा पंचमा पडिमा–जस्स गं भिक्खुस्स एवं भवति 'अहं च खलु अप्पणो अट्ठाए उग्गह ओगि हिस्सासि, जो बोह, णो तिह, णो चउण्ह, णो पंचण्ह' / पंचमा पडिमा। [6] अहावरा छट्ठा पडिमा-से भिक्खू वा 2 जस्सेव उग्गह उवल्लिएज्जा, जे तत्थ अहासमण्णागते तंजहा-इक्कडे वा जाव पलाले वा, तस्स लाभे संवसेज्जा, तस्स अलाभे उपकुडुए वा सज्जिओ वा विहरेज्जा। छट्ठा पडिमा। . यहाँ 'जाव' शब्द 'आगंतारेस वा' से 'ओग्गहियंसि' तक के पाठ को मू० 621, 622 के अनुसार सूचित करता है। 2. आयतणाई के बदले पाठान्तर है--आयाणाई, आपणाई। 3. आगंतारेसु वा के आगे 4 का अंक स. 132 के अनुसार शेष तीनों स्थानों का सूचक है। 4. 'जाएज्जा' के बदले पाठान्तर है--'जाणे ज्जा' / अर्थ होता है जाने। 5. 'जाव' शब्द से यहाँ 'जाएज्जा' से 'बिहरिस्तामो' तक का पाठ सूत्र 608 के अनुसार समझें। 'उल्लिस्सामि' के बदले पाठान्तर है— “उल्लिसाभि', 'उवलिइस्सामि', उलिस्सामि / अर्थ समान 7. यहां जाव शब्द सू० 556 के अनुसार 'इक्कडे वा' से 'पलाले वा' पाठ तक का मूचन है / 8. 'तस्स अलाभे के बदले पाठान्तर हैं--तस्सालाभे, तस्सऽला। 6. 'णेसज्जिओ के बदले पाठान्तर हैं-'णेसज्जिए' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org