________________ 211 212 220 221 222 230 232 232 235 237 ( 21 ) भाषाजात : चतुर्थ अध्ययन (2 उद्देशक) पृष्ठ 206 से 232 प्रथम उद्देशक 520 भाषागत आचार-अनाचार-विवेक 521 षोडश वचन एवं संयत भाषा-प्रयोग 522-526 चार प्रकार की भाषा : विहित-अविहित 530-531 प्राकृतिक दृश्यों में कथन-अकथन 532 भाषा-विवेक से साधुता की समग्रता द्वितीय उद्देशक 533-548 साबद्य-निरवद्य भाषा-विवेक 546-550 शब्दादि-विषयक भापा-विवेक भाषा-विवेक 552 भाषण-विवेक से साधुता की समग्रता वस्त्रषणा : पंचम अध्ययन (2 उद्देशक) पृष्ठ 233 से 261 प्रथम उद्देशक ग्राह्य वस्त्रों का प्रकार और परिमाण वस्त्र-ग्रहण की क्षेत्र-सीमा 555-556 औदेशिक आदि दोषयुक्त वस्त्रषणा का निषेध 557-558 बहुमूल्य-बहुआरंभ-निष्पन्न बस्त्र-निषेध 556-560 वस्त्रषणा की चार प्रतिमाएँ 561-567 अनैषणीय वस्त्र-ग्रहण-निषेध वस्त्र-ग्रहण से पूर्व प्रतिलेखना-विधान 566-571 ग्राह्य-अग्राह्य वस्त्र-विवेक 572-574 वस्त्र-प्रक्षालन-निषेध 575-576 वस्त्र-सुखाने का विधि व निषेध वस्त्रषणा-विवेक से साधुता की समग्रता द्वितीय उद्देशक वस्त्र-धारण की सहज विधि समस्त वस्त्रों सहित विहारादि विधि-निषेध प्रातिहारिक वस्त्र-ग्रहण प्रत्यर्पण-विधि 584-586 वस्त्र के लोभ तथा अपहरण-भय से मुक्ति 587 वस्त्र-परिभोगषणा विवेक से साधुता की समग्रता पात्रषणा : षष्ठ अध्ययन (2 उद्देशक) पृष्ठ 262 से 276 प्रथम उद्देशक 588-586 पात्र के प्रकार एवं मर्यादा 560-561 एषणा-दोषयुक्त पात्र-ग्रहण निषेध 562-56.3 बहुमूल्य पात्र-ग्रहण निषेध 564-565 पात्रषणा की चार प्रतिमाएँ 240 245 24% 246 251 252 254 255 256 264 265 266 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org