________________ 266 271 273 273 274 276 276 281 285 620 288 265 268 566-560 अनेषणीय पात्र-ग्रहण निषेध 566-600 पात्र-प्रतिलेखन विधान पात्रषणा-विवेक से साधता की समग्रता द्वितीय उद्देशक पात्र बीजादि युक्त होने पर ग्रहण-विधि 603-604 सचित्त संसृष्ट पात्र को सुखाने की विधि विहार-समय पात्र विषयक विधि-निषेध पात्रषणा-विवेक से साधुता की समग्रता अवग्रह प्रतिमा : सप्तम अध्ययन (2 उद्देशक) पृष्ठ 277 से 296 प्रथम उद्देशक 607 अवग्रह-ग्रहण की अनिवार्यता 608-611 अवग्रह-याचना : विविध रूप 612-616 अवग्रह-वजित स्थान अवग्रह-अनुज्ञा-ग्रहण-विवेक साधुता की समग्रता द्वितीय उद्देशक 621-632 आम्रवन आदि में अवग्रह विधि-निषेध अवग्रह-ग्रहण में सात प्रतिमा 635 पंचविध अवग्रह ज्ञानादि आचारों और समितियों सहित साधु सदा प्रयत्नशील रहे द्वितीय चूला : सप्त सप्तिका (7 अध्ययन) स्थान-सप्तिका: अष्टम अध्ययन अण्डादि युक्त स्थान ग्रहण-निषेध चार स्थान प्रतिमा 640 स्थानेषणा : साधुता का आचार-सर्वस्व निषोधिका-सप्तिका : नवम अध्ययन 641-64 निषौधिका-विवेक 643 निषोधिका में अकरणीय कार्य निषीधिका का उपयोग-विवेक साधुता का आचार सर्वस्व उच्चार-प्रस्रवण सप्तिका : दशम अध्ययन 645 उच्चार-प्रस्रवण विवेक मल-मूत्र-विसर्जन कैसे स्थण्डिल पर करे, कैसे पर नहीं करे 668 उच्चार-प्रस्रवण व्युत्सर्गार्थ स्थण्डिल-विवेक साध्वाचार का सर्वस्व शब्द-सप्तिका : एकादश अध्ययन 666-672 वाद्यादि शब्द-श्रवण-उत्कंठा-निषेध 673-676 विविध स्थानों में शब्देन्द्रिय संयम 680-686 मनोरंजन स्थलों में शब्दश्रवणोत्सुकता-निषेध 387-678 शब्द-श्रवण में आसक्ति आदि का निषेध 305 0 yar 0 306 328 333 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org