________________ ( 20 ) 123 125 131 135 443 146 150 . 152 455 . उपाश्रय-एषणा (चतुर्थ विवेक) 420--425 उपाश्रय एषणा (पंचम विवेक) 426 शय्यषणा-विवेक से भिक्षु-भिक्षुणी की ज्ञानादि आचार की समग्रता द्वितीय उद्देशक 427-430 गृहस्थ-संसक्त उपाश्रय-निबंध उपाश्रय-एषणाः विधि-निषेध 432-441 नवविध शय्या-विवेक 442 शय्या-विवेक से भिक्षु-भिक्षुणी के ज्ञानादि आचार की समग्रता तृतीय उद्देशक उपाश्रय-छलना-विवेक 444 उपाश्रय में यतना के लिए प्रेरणा 445-446 उपाश्रय-याचना विधि 447-454 निषिद्ध उपाश्रय संस्तारक ग्रहणाग्रहण-विवेक 456-457 संस्तारक एषणा की चार प्रतिमाएँ 458 संस्तारक प्रत्यर्पण-विवेक 454 उच्चार-प्रस्रवण-भूमि-प्रतिलेखना 460-461 शय्या-शयनादि विवेक 462 शय्या-समभाव 463 शय्यषणा विवेक-भिक्षु-भिक्षुणी का सम्पूर्ण भिक्षुभाव ईर्या : तृतीय अध्ययन (3 उद्देशक) पृष्ठ 166 से 208 प्रथम उद्देशक 464-468 वर्षावास-विहार चर्या विहारचर्या में दस्यु-अटवी आदि के उपद्रव 474-482 नौकारोहणविधि 483 ईर्या विषयक विशुद्धि-भिक्षु-भिक्षुणी की समग्रता द्वितीय उद्देशक 484-461 नौकारोहण में उपसर्ग आने पर : जल-तरण 462 ईर्यासमिति विवेक 463-467 जंघाप्रमाण जल-संतरण-विधि 498-502 विषम-मार्गादि से गमन-निषेध संयमपूर्वक विहारचर्या साधुता की समग्रता तृतीय उद्देशक 504-505 मार्ग में वन आदि अवलोकन-निषेध 506-506 आचार्यादि के साथ विहार में विनय-विधि 510-514 हिंसाजनक प्रश्नों में मौन एवं भाषा-विवेक 515-516 विहारचर्या में साधु को निर्भयता और अनासक्ति की प्रेरणा 163 164 165 167 168 187 160 161 167 167 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org