________________ ( 16 ) c8 rror षष्ट उद्देशक 356 कुक्कुटादि प्राणी होने पर अन्य मार्ग गवेषणा भिक्षार्थ प्रविष्ट का स्थान व अंगोपांग संचालन-विवेक –सचित्त संसृष्ट-असंसृष्ट आहार एषणा सचित्त-मिश्रित आहार-ग्रहण निषेध __ सप्तम उद्देशक मालाहृत दोषयुक्त आहार-ग्रहण निषेध उद्भिन्न दोषयुक्त आहार-निषेध 368 षटकाय जीव-प्रतिष्ठित आहार ग्रहण-निषेध 366-372 पानक-एषणा अष्टम उद्देशक 373 अग्राह्य पानक निषेध 374 आहार-गंध में अनासक्ति 375-388 अपक्क-पास्त्र-अपरिणत वनस्पति आहार-ग्रहण-निषेध 386 वनस्पतिकायिक आहार-गवेषणा भिक्ष भिक्षणी को ज्ञान-दर्शन चारित्र से सम्बन्धित समग्रता नवम उद्देशक 290-362 आधार्मिक आदि ग्रहण का निषेध ग्रासैषणा दोष-परिहार 367-368 ग्रासषणा-विवेक दसम उद्देशक 369-401 आहार-वितरण विवेक 402-404 बहु-उज्झित-धर्मी-आहार-ग्रहण-निषेध 405 अग्राह्य लवण-परिभोग-परिष्ठापन विधि 406 एषणा-विवेक से भिक्ष-भिक्षणी की सर्वांगीण समग्रता एकादश उद्देशक 407-808 मायायुक्त परिभोगषणा विचार 406 सप्तपिषणा-पानैषणा 410 भिक्ष के लिए सात पिंडपणा और पानेषणाओं के जानने की प्रेरणा पिडैषणा और पानषणा के विधिवत पालन से ज्ञानादि आचार की समग्रता शय्यैषणा : द्वितीय अध्ययन (3 उद्देशक) पृष्ठ 114 से 168 प्रथम उद्देशक उपाश्रय-एषणा (प्रथम विवेक) 413-414 उपाश्रय-एषणा (द्वितीय विवेक) 415-818 उपाथय-एषणा (तृतीय विवेक) 68 100 104 105 106 108 X9 113 116 115 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org