________________ अनुक्रमणिका आचाराङ्गसूत्र [प्रथम श्रुतस्कन्ध : अध्ययन 1 से 6] शस्त्रपरिज्ञा : प्रथम अध्ययन (7 उद्देशक) पृष्ठ 3 से 37 सूत्रांक पृष्ठ प्रथम उद्देशक अस्तित्त्व-बोध 3-6 4-9 प्रास्रव-संवर-बोध 6-8 द्वितीय उद्देशक 10-14 पृथ्वीकायिक जीवों की हिंसा का निषेध 8-11 पृथ्वीकायिक जीवों का वेदना-बोध 11-13 तृतीय उद्देशक 19-21 अनगार लक्षण 14-15 22-31 अप्कायिक जीवों का जीवत्व 15-19 चतुर्थ उद्देशक अग्निकाय की सजीवता 19-21 33-39 अग्निकायिक जीव-हिंसा-निषेध 21-23 पंचम उद्देशक 40-41 अनगार का लक्षण 24-25 42-44 वनस्पतिकाय हिंसा-वर्जन 25-26 45-48 मनुष्य शरीर एवं वनस्पति शरीर की समानता 26-28 षष्ठ उद्देशक संसार-स्वरूप 28-30 त्रसकाय-हिंसा-निषेध 30-31 52-55 सकाय-हिसा के विविध हेतु सप्तम उद्देशक आत्म-तुला-विवेक 33-34 वायुकायिक जीव-हिंसा-वर्णन 34-36 विरति-बोध लोकविजय : द्वितीय अध्ययन (6 उद्देशक) पृष्ठ 40 से 82 प्रथम उद्देशक संसार का मूल : आसक्ति 40-41 अशरणता-परिबोध 41-43 49 WG rr Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org